भारतीय समाज में हमेशा से यह मान्यता रही है कि लड़का लड़की की जितनी जल्दी शादी हो जाए उतना ही अच्छा! 18 की उम्र पार करने के बाद भारतीय माता-पिताओं को अपने बच्चों की शादी की चिंता सताने लगती है.
यदि बच्चे इक्कीस बाईस वर्ष की अवस्था पार कर ले तब तो यह पक्का हो जाता है कि कुछ ही समय में अब इनकी शादी तय करनी है. हालांकि पिछले कुछ वर्षों में इस मान्यता में हल्का सा सुधार आया है और भारतीय माता-पिता आजकल शादियों में जल्दबाजी कम करते हैं. लेकिन फिर भी यह सच है कि वह जल्दबाजी तो करते हैं. क्योंकि उनका मानना है कि उम्र बढ़ने के साथ ही शादी में मुश्किल आती है.
इस विषय में अगर एक्सपर्ट्स की राय ली जाए तो उनका कहना है कि किसी भी व्यक्ति की 30 की उम्र की आस पास की शादी सबसे ज्यादा समझदारी भरा कदम होता है. आइए जानते हैं ऐसा कहने के पीछे एक्सपर्ट के पास क्या कारण है और यह बात किस हद तक सही है ?
1–समझदारी बढ़ना :– 30 की उम्र आते-आते व्यक्ति इतना समझदार हो जाता है जितनी उसमें अधिकतम क्षमता है. वह अपने बचपन किशोरावस्था और अपनी आधी युवावस्था को लगभग पार करने को होता है ऐसे में यह बात तय है कि उसमें इस उम्र तक अच्छी खासी समझदारी आ जाती है.
2–आत्म निर्भर होना :– 30 की उम्र उम्र का वह पड़ाव है जब व्यक्ति आत्मनिर्भर हो जाता है. यदि कोई व्यक्ति इस उम्र तक भी आप पर निर्भर नहीं है तो समझ लीजिए वह जीवन में कभी होने वाला भी नहीं है. इस उम्र तक आते-आते व्यक्ति स्वयं अपना काम संभालने के लायक हो जाता है.
3– एक तय लक्ष्य होना :– 30 की उम्र आते-आते व्यक्ति को आराम से यह पता लग जाता है कि उसकी जीवन लीला का क्या लक्ष्य है? व्यक्ति यह बात समझ पाता है कि वह किस फील्ड में अपना करियर बनाने के लायक है और उसमें कितनी क्षमता है!
एक तरफ 30 की उम्र तक यह भी स्पष्ट हो जाता है कि व्यक्ति ने अपनी पढ़ाई लिखाई पूरी कर ली है और अब वह वैवाहिक जीवन में बंधने को तैयार है. इस उम्र तक शादी ही बड़ी जिम्मेदारी के रूप में उभर कर आती है.