नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक भारतीय पुरुष लंबाई के मुकाबले में विश्व में 178वें नंबर पर आते हैं. हमारा यह स्थान भूटान से भी नीचे है. बात करें अगर 1914 की तो हमारी स्थिति कुछ बेहतर थी क्योंकि उस वक्त भारतीय पुरुष विश्व में 104 नंबर पर लंबाई के मुकाबले आया करते थे. केवल इतना ही नहीं भारतीय महिलाएं भी दुनिया की 10 सबसे छोटी महिलाओं वाले देश में छठे नंबर पर आती है.
यह काफी चिंताजनक विषय है क्योंकि लंबाई से हमारा स्वास्थ्य काफी हद तक प्रभावित होता है. आखिर क्या कारण है के कभी भरपूर लंबाई वाले नागरिकों के इस देश में आज लोग बौने हो रहे हैं? क्यों वर्तमान युवा पीढ़ी इतनी लंबी नहीं है?
लंबाई का हमारे आत्म विश्वास पर तो प्रभाव पड़ता ही है इसके अलावा जिन लोगों की लंबाई बढ़िया होती है उनका स्वास्थ्य भी बौने लोगों से बेहतर होता है. इसमें कुछ हद तक तो जेनेटिक कारण मौजूद है लेकिन कुछ दूसरे कारण भी है.
बौने लोगों को कई सामाजिक परेशानियां भी होती है इसके अलावा यह भी देखा गया है कि जिन लोगों की हाइट कम होती है उन्हें अल्जाइमर और दिल की बीमारी होने का खतरा ज्यादा होता है.
क्या है कारण? अगर बात करें इन के कारणों की तो इसका साफ-साफ कारण हमारा खान-पान है. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि लोगों ने वक्त के साथ पोषक तत्व को लेना छोड़ दिया है. लोग स्वाद के चक्कर में ना जाने क्या-क्या खा जाते हैं और शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व को लेने से कतराते हैं.
अधिकतर माता पिता छोटे बच्चों को कम उम्र में ही चिप्स, कुरकुरे आधी खिलाने की लत डाल देते हैं जिस वजह से बच्चों को पोषक तत्व नहीं मिल पाते. इसके अलावा भारत में एक बड़ा तबका ऐसा भी है जिनके पास अपने बच्चों के पेट भरने से ज्यादा पैसे नहीं होते, उनके पास इतने पैसे नहीं होते कि वह अपने बच्चों को आवश्यक पोषक तत्व खिला सकें.
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लगभग 35 लाख बच्चे तो कुपोषण का शिकार है इनमें से 10 लाख से ज्यादा बच्चे ऐसे हैं जिन्हें खाना भी नसीब नहीं होता. लोगों के पास संसाधन कम हो रहे हैं और बेरोजगारी का मंजर चारों तरफ बढ़ रहा है इस वजह से लोग अपने परिवार का बेहतर भरण-पोषण नहीं कर पा रहे हैं. इनके अलावा बढ़ता प्रदूषण भी लोगों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल रहा है.