मित्रों हम सदैव सुनते आए हैं कि, गाय हमारी माता है और हमें गाय की सेवा करनी चाहिए.कई लोग गाय की सेवा का बखान करते हैं इसीलिए कहा जाता है कि कम से कम गाय को रोटी तो आवश्यक रूप से देनी चाहिए.
कहा जाता है कि हर घर में सबसे पहली रोटी गाय के लिए बनाई चाहिए उसके पश्चात ही अन्य सदस्यों के लिए. लेकिन आखिर गाय को रोटी क्यों देनी चाहिए? मित्रों इस सवाल का जवाब हमारे शास्त्रों में बखूबी दिया गया है. गाय की सेवा के पीछे सभी कारणों का विस्तार से उल्लेख किया गया है.
शास्त्रों के अनुसार :– शास्त्रों में गौ माता की सेवा का बखूबी महिमामंडन किया गया है, कहा गया है कि यदि एक व्यक्ति अपने माता-पिता के बाद केवल गाय की सेवा करता है तो वह आवश्यक रूप से मोक्ष का भागी है. ऋग्वेद में भी गाय को “अवध्या” कहा गया है.
इसके अलावा गाय को रुद्र देवों की माता, वासुदेवों की कन्या, आदित्य देवों की बहन और अमृत्व का केंद्र बताया गया है. कहा गया है कि गाय में 33 कोटि देवी देवताओं का निवास है.
ना केवल धार्मिक दृष्टि से वैज्ञानिकों ने भी गाय के गुणों का महिमामंडन किया है. वैज्ञानिकों ने गाय के गोबर से लगाकर, गोमूत्र, गाय के दूध, दही एवं उसके शरीर में उपस्थित प्रत्येक वस्तु का अनोखा फायदा बताया है.
इसीलिए शास्त्रों में कहा गया है कि मनुष्य को अपने जीवन में आवश्यक रूप से गौ माता को कम से कम रोटी तो देनी ही चाहिए. यदि व्यक्ति गोदान एवं गाय की सेवा में सहयोग देता है तो सबसे उत्तम. कहा गया है कि गाय को रोटी देने से पीढ़ी दर पीढ़ी उन्नति होती है एवं व्यक्ति के परिवार में सभी प्रकार के सुखों का निवास होता है.
कुछ लोग खूब प्रयत्न करते हैं लेकिन फिर भी अपने जीवन में अपना एक मुकाम हासिल नहीं कर पाते. यानी कुछ लोग प्रयत्न करने के बावजूद भी अपने काम नहीं बना पाते. ऐसे लोगों के लिए कहा गया है कि उन्हें आवश्यक रूप से गाय को रोटी देनी चाहिए तो जल्दी ही उनकी ग्रह स्थिति सुधरती है और जीवन में सुख प्राप्त होता है. यदि गौ माता की सेवा की जाती है तो व्यक्ति को मानसिक सुख प्राप्त होता है, जो कि वर्तमान जीवन में सबसे ज्यादा आवश्यक है.
वास्तव में गौ माता की सेवा करना और उन्हें रोटी खिलाना हमारे हृदय में करुणा प्रदर्शित करता है. यह दिखाता है कि हमें पशुओं की कितनी चिंता है! यदि कोई परिवार लंबे समय से गरीबी से जूझ रहा है, तो गौ माता की सेवा करने से जल्द ही उसके जीवन में आर्थिक सुधार आता है.
लेकिन आज के संदर्भ में गौ माता की सेवा की परिभाषा बदल चुकी है, भ्रष्ट राजनीति करने वाले नेताओं ने गौ माता की सेवा का मुद्दा राजनीतिक कर दिया है. आज गौ माता के नाम पर खूब राजनीति होती है लेकिन फिर भी सड़कों पर हजारों गाय लावारिस घूमती है. उन्हें प्लास्टिक की तेलिया खानी पड़ती है जो उनकी शरीर की आंतों में फंस जाती है और तड़प तड़प कर उनकी मृत्यु हो जाती है. वास्तव में यह स्थिति हमारे समाज के लिए भयानक है और यह दर्शाता है कि मनुष्य के हृदय से करुणा जा चुकी है.