गोवर्धन पूजा के दूसरे दिन मनाया जाने वाला दीपावली पर्व का अंतिम त्यौहार भाई दूज है. भाई दूज के साथ ही दीपावली पर्व की समाप्ति मानी गई है. मान्यता के अनुसार इसी दिन सूर्यपुत्र यम ने अपनी बहन यमुना के घर जाकर उसका आथित्य स्वीकार किया था और साथ ही अपनी बहन यमुना को यह वरदान दिया कि जो भी बहन अपने भाई को इस दिन विधि पूर्वक अपने घर आमंत्रित करेगी और भोजन करवाकर उसे तिलक करेगी तो ऐसे भाई को यम की दिशा नहीं झेलनी पड़ेगी.
इसीलिए परंपरा है कि इस दिन भाई अपनी शादीशुदा बहनों के घर जाकर तिलक करवाते हैं. इसके अलावा कई स्थानों पर भाई बहनों के यमुना स्नान की भी प्रथा है. माना जाता है कि भाई बहनों के यमुना स्नान करने से भाई को अकाल मृत्यु से भय नहीं रहता. लेकिन जो बहने शादीशुदा नहीं है वे अपने घर ही अपने भाई को तिलक कर सकती हैं.
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क्या है भाई दूज मनाने का शुभ मुहूर्त?-
इस वर्ष द्वितीया तिथि 5 नवंबर रात 11: 14 पर प्रारंभ होकर 6 नवंबर को शाम 7:44 तक रहेगी. शास्त्रों में भाई दूज हमेशा दिन के मध्य में मनाने का कहा गया है. दोपहर तक भाई बहनों को उपवास रखना चाहिए जिसके पश्चात बहने अपने भाई को तिलक करेंगी और बाद में उसे भोजन परोसेंगी. इस वर्ष 6 नवंबर को भाई दूज का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:10 से प्रारंभ होकर 3: 21 तक रहेगा.
मुहूर्त की कुल अवधि 2 घंटे 11 मिनट है. इसलिए इसी समय ही आप अपने भाई को कुमकुम का टीका और अक्षत लगाएं. उन्हें एक नारियल दे और उनके स्वस्थ जीवन और चिरायु की कामना करें. जिसके पश्चात ही पहले अपने भाई को भोजन करवाएं फिर आप स्वयं करें. भोजन कराने के पश्चात अपने भाई को पान अवश्य खिलाएं.