आज कलियुग का कहर किसी से छुपा हुआ नहीं है. कलियुग के इस घोर अंधेरे में नित्य मानवता को शर्मसार करने वाली घटनाएं होती है. ना तो कोई किसी की हत्या करने से चूकता है ना ही धोखा देने से. माताओं बहनों का लिहाज भी किसी को नहीं रह गया है, नित्य हम हमारी बेटियों के बलात्कार की घटनाएं सुनते हैं.
आजकल तो स्त्रियां भी कुछ कम नहीं, वे भी कभी कभार अपनी हरकतों से कलियुग के प्रकोप का प्रमाण दे देती हैं. दिन-ब-दिन मानवता संकट में प्रतीत होती है ऐसे में कई लोगों का प्रश्न है आखिर भगवान कहां है? क्यों नहीं भगवान एक क्षण में ही सब ठीक कर देता? क्यों नहीं भगवान अवतार ले रहे?
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पढ़िए पूरी जानकारी यहां से- मित्रों आप स्वयं ही सोचिए क्या आजकल के मनुष्य भगवान के प्रति सच्चा श्रद्धा भाव रखते हैं? क्या वें ईश्वर को मुसीबत के अलावा कभी याद करते हैं? मित्रों जहां ईश्वर के प्रति कोई श्रद्धा भाव नहीं है, जहां उनका कोई सम्मान नहीं है, उन्हें कोई याद नहीं करता वहां भला ईश्वर कैसे सहायता करेंगे?
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जो व्यक्ति ईश्वर को सच्चे मन से स्वयं में धारण करता है और नित्य उनका स्मरण करता है ईश्वर उसकी मदद ना करें ऐसा संभव नहीं है. लेकिन आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में घंटों बैठकर भक्ति साधना करना लगभग नामुमकिन हो चुका है. ऐसे में क्या कीजिएगा की घंटों भजन ना करने के बावजूद भी आपको ईश्वरी कृपा सदैव प्राप्त हो?
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वास्तव में यह बड़ा ही आसान है. रामायण में कहा गया है,“कलियुग केवल नाम अधारा, सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा”. यानी कि कलियुग में केवल ईश्वर के नाम का ही आधार होगा, उसको स्मरण करने से ही प्रत्येक व्यक्ति भवसागर पार कर सकता है.
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तो क्या केवल ईश्वर का नाम लेने से ही सब ठीक हो जाएगा?– जी बिल्कुल, कलियुग में मनुष्य को केवल अपने हृदय में ईश्वर को धारण करना है. जिस प्रकार से सतयुग, त्रेता युग और द्वापर युग में मनुष्य को ईश्वर प्राप्ति के लिए कठिन साधना करनी पड़ती थी. उन्हें वर्षों तक बैठकर तपस्या, यज्ञ और महा प्रांगण स्थापित करने होते थे.
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तब जाकर कहीं ईश्वर उन्हें उनकी इच्छा पूर्ण करने का अवसर देते थे. लेकिन कलयुग में केवल श्रद्धा मनसे ईश्वर पर विश्वास करिए, उन्हें अपने हृदय में धारण कीजिए. आप जब भी, जिस भी स्थिति में ईश्वर को याद कर सकते हैं अवश्य ही उनका स्मरण कीजिए. यदि आपने अपने जीवन में पाप भी किए हैं तो भी ईश्वर के स्मरण के द्वारा उनसे छुटकारा पाया जा सकता है.
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राजा परीक्षित के दरबारी चिकित्सक धनवंतरी के अनुसार कलयुग में केवल ईश्वर के जाप से मुक्ति संभव होगी लेकिन यह तभी प्रभावशाली होगा जब मनुष्य में स्वयं के द्वारा किए गए पापों का प्रायश्चित होगा और उन्हें कभी ना दौहराने का संकल्प होगा. यदि मनुष्य लगातार पाप करें और सोचे कि ईश्वर के स्मरण के द्वारा मैं मुक्त हो जाऊंगा तो ऐसा संभव नहीं है. एक अहिंसक और श्रद्धावान जीवन जीये.
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कलियुग के लिए चैतन्य महाप्रभु का महामंत्र– मित्रों इसी कलियुग में आज से लगभग 500 वर्ष पूर्व चैतन्य महाप्रभु ने अपनी कृष्ण भक्ति के द्वारा लोगों को इस युग में ईश्वर प्राप्ति का मार्ग बताया था. कहा गया है कि चैतन्य स्वयं श्री कृष्ण का एक अवतार थे और उनका जन्म केवल कलियुग में लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए हुआ था.
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उन्होंने कहा था की ईश्वर प्राप्ति से सुलभ कुछ नहीं और इससे दुर्लभ कुछ नहीं. चैतन्य महाप्रभु कलियुग वासियों को वरदान दिया था कि जो भी व्यक्ति मेरे बताएं इस मंत्र का उच्चारण करेगा उसका जीवन निसंदेह सफल होगा. मंत्र इस प्रकार से है, “हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे||हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे”||