कुल 18 दिनों तक चले महाभारत के महायुद्ध में उस समय के लगभग सभी योद्धा वीरगति को प्राप्त हो गए थे. इस युद्ध में पांडव और कौरव पक्ष की तरफ से अठारह अक्षौहिणी सेनाओं ने भाग लिया था जिसमें 11 अक्षौहिणी सेना कौरवों की थी जबकि 7 पांडवों की.
बताया जाता है कि उस समय इन विशाल सेनाओं में लगभग प्रत्येक व्यक्ति मारा गया था. संग्राम के अंत में पांडु पक्ष से सबसे ज्यादा योद्धा जिंदा बचे थे जिनका जिक्र हमें कई जगह देखने को मिलता है. लेकिन कौरव पक्ष में कौन-कौन बचा? बचे हुए कौरव क्षत्रियों का बाद में क्या हुआ?
1–कृपाचार्य :– महाभारत के अनुसार कृपाचार्य को चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त था. कृपाचार्य एक ऋषि पुत्र थे और उनकी बहन का नाम कृपी था. कृपी का विवाह द्रोणाचार्य से हुआ था. इस लिहाज से कृपाचार्य द्रोणाचार्य के साले थे.
उल्लेखित जानकारी के अनुसार जब महाभारत का युद्ध समाप्त हो गया तब कृपाचार्य ने पांडवों के समक्ष संधि का प्रस्ताव रखा. वह पांडवों के पास गए और उन्होंने अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित को शास्त्र ज्ञान देने का प्रस्ताव रखा. पांडवों ने उनकी इस बात को मान लिया और कृपाचार्य ने अभिमन्यु के पुत्र को शूरवीर बनाया. चिरंजीवी वरदान प्राप्त होने के कारण कृपाचार्य आज भी धरा पर उपस्थित है.
2–अश्वथामा :– महाभारत के युद्ध का सबसे अहम किरदार अश्वथामा द्रोणाचार्य का पुत्र था. भगवान शिव के वरदान से अश्वत्थामा के मस्तिष्क में एक ऐसी मणि थी जो उसे कई गुना ज्यादा बलशाली बनाती थी और वह युद्ध में बिना थके लगातार लड़ सकता था.
लेकिन जब अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र चला कर अभिमन्यु के गर्भ पुत्र परीक्षित की ह’त्या करने की कोशिश की और पांडवों के शिविर में सोए हुए पांच पुत्रों को धोखे से मार दिया तब अश्वथामा को पकड़कर पांडवों ने उसके बाल उतार दिए. अश्वत्थामा के कृत्य पर भगवान श्री कृष्ण को बेहद गुस्सा आया और उन्होंने उसके मस्तिष्क से मणि निकाल ली और उसे समय के अंत तक यूं ही भटकने का श्राप दे दिया. वर्णन के अनुसार अश्वथामा आज भी जीवित है. कई लोगों ने तो अश्वथामा को देखने का दावा भी किया है.
3– शकुनी पुत्र व्रिकचिती– शकुनि के कुल 3 पुत्र थे जिनका नाम वकासुर, उलूक और व्रिकचिती था. इनमें से वकासुर और उलूक महाभारत के युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गए थे. लेकिन शकुनि का तीसरा पुत्र इसमें जीवित बच गया था. युद्ध समाप्ति के बाद उसे गांधार का राजा बनाया गया.
4– वृशकेतु – वृशकेतु कर्ण का पुत्र था. वृशकेतु का लालन-पालन कर्ण के कहने पर बाद में पांडवों ने ही किया था. बाद में उसे इंद्रप्रस्थ का राजा बनाया गया था.
5–कृतवर्मा – कृतवर्मा यादव वंश का शक्तिशाली क्षत्रिय था. महाभारत के युद्ध में उसने कौरवों की तरफ से युद्ध किया जिसमें वह जीवित बच गया था. लेकिन बाद में जब द्वारका नगरी में गृह युद्ध शुरू हुआ तब उसमें कृतवर्मा भी मारा गया.
इनके अलावा कौरव पक्ष के दो और योद्धा जीवित बच गए थे जिन्होंने युद्ध में भाग नहीं लिया था. एक था पांडवों का समर्थन करने वाला धृतराष्ट्र पुत्र युयुत्सु और दूसरे मंत्री विदुर.