जब हमारा मन अशांत होता है, और हम असहाय महसूस करते हैं तब हमारे पास प्रभु की शरण के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं बचता है. आखिर हमारे कष्टों में प्रभु के अलावा दूसरा कौन सहायता कर सकता है? दु:खों का नाश करने वाले परमात्मा एकमात्र हमारी समस्याओं के निवारण साधन है. ऐसी परिस्थिति में जब हम ईश्वर की शरण में जाते हैं तब हम अपनी समस्याओं को लेकर ईश्वर के सामने विनती करते हैं.
वास्तव में ईश्वर में परम श्रद्धा वान लोग केवल ईश्वर के समक्ष ही अपने समस्त दु:खों का बखान कर सकते हैं. और ईश्वर से विनती करते समय उनकी आंखों से आंसू आने लगते हैं. कई बार व्यक्ति फूट-फूट कर रोने लगता है. आज हम इसी दृश्य के पीछे का कारण ढूंढने का प्रयास करेंगे. वास्तव में ईश्वर के समक्ष आप के आंसू सामान्य बात नहीं है, यह अपने आप में एक रहस्य है. यह ईश्वर के प्रति हमारी एक पूजा का अंग है.
जब हमारे जीवन में दुख होता है, तब हमारे शरीर में हमारे दु:ख भावना के रूप में संग्रहित हो जाते हैं. जब यह भावना बाहर निकलती है तब आंसू का रूप ले लेती है. इसलिए यह आंसू हमारे शरीर के पंच पदार्थों का एक हिस्सा है. जब हम ईश्वर के सामने विलाप करते हैं तब हमारी श्रद्धा प्रगाढ़ होती है. यह इस बात का संकेत है कि हमारा ईश्वर के प्रति अटल समर्पण हैं, इसीलिए ईश्वर हमारा सहयोगी है.
आंसू इस बात का संकेत है कि हमें जिस ईश्वर में श्रद्धा है उनमें और हमारे बीच अब एक अटल संबंध स्थापित हो चुका है. यानी कि अब ईश्वर आपके दु:खों में भागीदार हैं. आंखों में आंसू हमारे मन में ईश्वर के प्रति मजबूत प्रेम संबंध स्थापित करता है. कुल मिलाकर यह कि आंसू हमारी सद्भावना का संकेत है. यह ईश्वर के प्रति निकटता का एक सफल अनुभव है और इससे हमारे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होता है.
यह इस बात का भी संकेत है कि जल्दी ही इस विकट घड़ी के बाद अच्छा समय आएगा. ईश्वर के सामने विलाप करने से हमारे शरीर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकलती है, जिससे हमारा मस्तिष्क कुछ शांत हो जाता है. यह वह समय होता है जब हमारी आत्मा ईश्वर के प्रति भक्ति में डूबी हुई होती है. जिस प्रकार भूख लगने पर हमें खाना खाना पड़ता है, उसी प्रकार जीवन में विकट घड़ी आने पर हमें ईश्वर पर भरोसा करना पड़ता है.
यदि हमारा पक्ष सत्य है, हमें ईश्वर में भरोसा है तो आवश्यक रूप से ईश्वर हमारी सहायता करते हैं. शास्त्रों में भी कहा गया है कि आपके जीवन में जब कठिन घड़ी आये और आपको यह समझ ना आए कि अब कौन सा देवता आपकी सहायता कर सकता है? तब इस स्थिति में आप केवल उस देवता का स्मरण करें जिसके सामने आप अपनी विकट स्थिति विस्तार से रख सके, जिस देवता का स्मरण करने से आपकी आंखों में आंसू आने लगे वही देवता आपके कष्ट निवारण के लिए उपयुक्त है.