भगवान वाल्मीकि के बाद हमारा समाज “रामानंद सागर” का ऋणी रहेगा. क्योंकि रामानंद सागर ने ही देश के सभी नागरिकों के लिए रामायण का आयोजन किया जिसमें सभी लोगों को भगवान श्री राम के बारे में जानने का अवसर प्राप्त हुआ था. श्रेष्ठ कलाकारों और अभिनय के माध्यम से इन्होंने दर्शकों का मन मोह लिया था. हमें भगवान श्री राम के जीवन के बारे में निकटता से जानने का मौका भी रामानंद सागर की रामायण से ही मिला था. लेकिन इसमें कुछ ऐसी बातें भी है जो टीवी पर रामायण में नहीं दिखाई गई परंतु वास्तव में वह रामायण का हिस्सा है.
जानिए कौन-कौन सी वे चीजें हैं, जिन्हें टीवी पर नहीं दिखाया गया-
1-भगवान श्री राम की बहन शांता-
मित्रों टीवी पर रामायण में चार भाइयों का ही जिक्र देखने को मिलता है. परंतु वास्तव में राजा दशरथ के चार पुत्रों के अलावा सबसे बड़ी एक पुत्री थी जिसका नाम “शांता” था. शांता राजा दशरथ और कौशल्या की पुत्री थी और दशरथ की पहली संतान थी.
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एक बार जब अंग देश के राजा रूंपद और उनकी पत्नी अयोध्या पधारे तो उन्होंने शांता को अपने साथ ले जाने की इच्छा प्रकट की. राजा रूंपद कौशल्या के बहनोई थे और उनके कोई संतान नहीं थी. जिसके बाद दशरथ ने अपनी पुत्री शांता उन्हें संतान के रूप में दे दी. वे उसे साथ ले गए और ठाट बाट से उसकी परवरिश की.
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2- 14 वर्ष नहीं सोए थे लक्ष्मण-
जब वन में प्रथम दिवस भगवान श्री राम लक्ष्मण और मां सीता विचरण कर रहे थे तब रात्रि होने के पश्चात श्री राम और सीता तो सो गए लेकिन लक्ष्मण उनकी रक्षा हेतु जागते रहे. उस समय लक्ष्मण ने निद्रा देवी को आह्वान किया और उनसे विनती की कि वे उन्हें वनवास काल के दौरान नींद ना लेने का वरदान दे.
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निद्रा देवी ने प्रकट होकर उन्हें यह वरदान देने का आश्वासन दिया. लेकिन उन्होंने कहा यदि आप नींद नहीं लेंगे तो आप के बदले किसी ओर को 14 वर्ष तक सोना होगा. तब लक्ष्मण ने कहा मेरे बदले मेरी पत्नी उर्मिला अगले 14 वर्षों तक निद्रा की अवस्था में रहेगी. अपने पति की आज्ञा का पालन करते हुए उर्मिला 14 वर्षों तक सुप्त अवस्था में ही रही.
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अपने भाई और भाभी की रक्षा के लिए लक्ष्मण की ऐसी नियत और त्याग अद्भुत था. अपने भाई की रक्षा करने के लिए लक्ष्मण जीवन में हर कठिनाई प्राप्त करने के लिए तैयार थे.नींद पर विजय पाने के कारण लक्ष्मण को “गुडाकेश” भी कहा जाता है.
3- रावण की ध्वजा पर वीणा का चिन्ह क्यों?
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राक्षस रावण की ध्वजा पर वीणा का चिन्ह अंकित था. क्योंकि रावण बलवान होने के साथ एक उत्तम संगीतकार भी था. रावण उस समय का सबसे श्रेष्ठ वीणा वादक था. हालांकि रावण मुक्त रूप से वीणा नहीं बजाता था लेकिन वह इस कला में निपुण था. अपने संगीत प्रेम के चलते ही रावण ने अपनी ध्वजा पर वीणा का चिन्ह अंकित करवाया था.
4-इतना क्यों सोता था कुंभकर्ण-
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यह तो हम सभी जानते हैं कि रावण का छोटा भाई कुंभकर्ण 6 महीने तो केवल सोता था. कुंभकर्ण वास्तव में ब्रह्मा जी का भक्त था और उसने ब्रह्मा जी को प्रसन करने के लिए कठोर तपस्या की थी. कुंभकर्ण की इच्छा थी कि वह इंद्रासन प्राप्त कर ले. भगवान इंद्र को कुंभकर्ण की इस नियत से भय था.
कुंभकर्ण की तपस्या के फलस्वरूप जब भगवान ब्रह्मा उसके सामने प्रकट हुए तो देवराज इंद्र ने मां सरस्वती से आग्रह किया कि वह जाकर कुंभकर्ण की जिह्वा पर विराजमान हो जाए. जिससे कुंभकरण अपनी इच्छा से भटक जाए. देवी सरस्वती जब कुंभकर्ण की जिह्वा पर विराजमान हुई तो कुंभकरण ने इंद्रासन की जगह निद्रासन प्राप्त करने की मांग कर ली. जिसके चलते कुंभकर्ण आधी साल केवल सोता रहता था.
5-भगवान श्री राम के अन्य भाई किसके अवतार थे?
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रामायण में इस बात की विशेष चर्चा है कि भगवान श्री राम भगवान विष्णु के अवतार थे. और उनके अन्य भाई यानी कि लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न भी अन्य देवताओं के अवतार रहे थे. लक्ष्मण शेषनाग का अवतार थे जबकि भरत सुदर्शन चक्र और शत्रुघ्न शंख सैल का अवतार थे.
6-सूर्पनखा स्वयं चाहती थी रावण का विनाश-
रामानंद सागर रामायण में हम देख सकते हैं कि जब लक्ष्मण ने रावण की बहन सूर्पनखा का नाक काट दिया था उसी प्रतिशोध में रावण ने सीता का अपहरण कर लिया था. वास्तव में सूर्पनखा स्वयं ही चाहती थी कि रावण का विनाश हो जाए.
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क्योंकि रावण जब विश्व विजय पर निकला था तब उसने कई योद्धाओं का वध कर दिया था. इसी कड़ी में रावण ने सूर्पनखा के पति का भी वध कर दिया था जिसके चलते सूर्पनखा ने रावण को मन ही मन श्राप दिया कि तेरा विनाश हो जाए.
7-लंका में बिना अन्न जल कैसे रही मां सीता-
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मित्रों मां सीता ने रावण की लंका में कभी भोजन नहीं किया था. जब रावण सीता का अपहरण कर उसे लंका ले आया तो देवता माता सीता की स्थिति को लेकर चिंतित हो गए. उसी समय देवराज इंद्र निद्रा देवी के साथ अशोक वाटिका में पहुंचे. निद्रा देवी ने वहां उपस्थित सभी जीव जंतुओं को सुला दिया उसके पश्चात देवराज इंद्र ने माता सीता से एक दिव्य भोजन करने का आग्रह किया. उन्होंने माता सीता को एक प्रकार की खीर खाने के लिए विनती की जिससे उन्हें भविष्य में भूख प्यास का एहसास नहीं हो.
8-एक और नारी का अपहरण किया था रावण ने-
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मित्रों यह सब तो हम जानते ही हैं कि रावण ने सीता का अपहरण कर लिया था परंतु सीता से पहले रावण ने राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या का भी अपहरण किया था. वास्तव में उसे पहले ही पता लग गया था कि कौशल्या और दशरथ का पुत्र ही उसकी मृत्यु का कारण बनेगा इसलिए उसने मौका देख कर कौशल्या का अपहरण कर लिया.
इसके पश्चात उसने कौशल्या को एक मायावी बक्से में बंद कर समुद्र में फेंक दिया और कौशल्या को मरने के लिए छोड़ दिया. राजा दशरथ को किसी प्रकार से रावण की योजना का अंदेशा हो गया और उन्होंने कौशल्या को बचाया.
9-वाल्मीकि रामायण में “लक्ष्मण रेखा” का वर्णन नहीं-
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मित्रों जंगल से श्री राम के संकट में होने की अनुभूति के बाद लक्ष्मण में माता सीता की रक्षा के लिए लक्ष्मण रेखा खींची थी, जिसके लिए उन्होंने माता सीता से आग्रह किया था कि वह इस रेखा को पार ना करें. लेकिन वाल्मीकि रामायण में लक्ष्मण रेखा का कोई जिक्र नहीं मिलता है.
इसके विपरीत रामचरितमानस के लंका कांड में लक्ष्मण रेखा का विस्तार पूर्वक वर्णन हमें देखने को मिलता है. अब इसके पीछे क्या कारण है यह तो कोई नहीं जानता!