मित्रों जब प्रेम की बात आती है तो राधा कृष्ण का जिक्र सबसे पहले आता है. निश्चित रूप से राधा कृष्ण प्रेम की वह मिसाल है जोकि सदियों तक दी जाएगी. राधा कृष्ण का आपसी प्रेम शारीरिक ना होकर गहरा भावनात्मक था. कृष्ण की पत्नी ना होते हुए भी कृष्ण के नाम के आगे अनायास ही लोग राधा का नाम जोड़ देते हैं. यही है वह चीज जिससे उनके अमर प्रेम का प्रमाण मिलता है.
टीवी पर राधा कृष्ण के प्रेम से संबंधित सीरियल भी दर्शाए गए हैं. जो दर्शकों को संदेश देते हैं की प्रेम के लिए कोई पाबंदी या शर्त नहीं होनी चाहिए, प्रेम तो वह अनायास रूप है जो दो आत्माओं का मिलन है. ऐसे में कई लोग सोचते हैं जब राधा कृष्ण का प्रेम इतना अटूट और गहरा था तो क्यों नहीं श्री कृष्ण ने राधा से विवाह किया?
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मित्रों इस संदर्भ में हमारे शास्त्रों में कई कारण बताए गए हैं. इसके लिए अलग-अलग ग्रंथों में अलग-अलग कारण दिए गए हैं. कुछ विद्वान तो ऐसा मानते हैं की राधा श्री कृष्ण का ही एक भाग है. ऐसे में उनके विवाह करने, ना करने या उनके अलग होने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता. राधा और कृष्णा एक है और उनके मिलन के लिए विवाह की आवश्यकता नहीं.
जानिए अन्य सभी कारण-
1- मित्रों भगवान श्री राम और श्री कृष्ण दोनों को ही भगवान विष्णु का अवतार बताया गया है. रामचरितमानस के बालकांड के अनुसार देवी लक्ष्मी के स्वयंवर के समय भगवान विष्णु ने नारद ऋषि के साथ छल किया था. जब नारद मुनि देवी लक्ष्मी के स्वयंवर में पहुंचे तो भगवान विष्णु ने उन्हें वानर रूप में ला दिया था. जिसके चलते हैं नारद ऋषि का देवी लक्ष्मी के स्वयंवर में अपमान हुआ था, तब नारद ऋषि वैकुंठ धाम पहुंचे और भगवान विष्णु को इस संदर्भ में खरी खोटी सुनाने लगे.
उसी समय नारद मुनि ने भगवान विष्णु को पत्नी वियोग का श्राप दे दिया था. नारद मुनि के श्राप के अनुसार ही भगवान श्रीराम को माता सीता से और श्री कृष्ण को राधा से वियोग सहन करना पड़ा था.
2- एक अन्य कथा इस प्रकार से भी है कि जब प्रथम दृष्टया राधा ने श्री कृष्ण को देखा था तब वह अपनी सुध खो बैठी. माना जाता है कि राधा ने श्री कृष्ण को प्रथम बार तब देखा था जब उनकी मां यशोदा ने उन्हें ओखले से बांध दिया था. कुछ विद्वान यह भी कहते हैं कि राधा ने श्री कृष्ण को सर्वप्रथम संकेत तीर्थ पर देखा था. राधा कृष्ण ने एक ही दृष्टि में एक दूसरे से अद्भुत प्रेम का वायदा कर लिया था.
राधा बरसाने की रहने वाली थी और उनके पिता का नाम वृषभानु था. वह श्री कृष्ण से 5 वर्ष बड़ी थी लेकिन दोनों के प्रेम में यह कोई मायने नहीं रखता था. राधा ने अपना जीवन कृष्ण को समर्पित कर दिया था और वह सारे दिन कृष्ण की मुरली की धुन में खोई रहती थी. कृष्ण की मुरली की धुन सुनकर राधा बेसुध होकर अपने घर से बाहर निकल जाती थी जिसके बाद उसके समाज के लोगों ने उसका घर से बाहर निकलना बंद करवा दिया था.
जिसके बाद श्री कृष्ण ने अपनी मां यशोदा से राधा से विवाह करने की बात रखी थी. लेकिन यशोदा ने श्री कृष्ण को राधा से विवाह करने के लिए मना कर दिया था. यशोदा ने कहा की एक तो राधा तुमसे उम्र में बड़ी है और दूसरा उसका विवाह पहले ही तय हो चुका है.
जिसके बाद नंद महाराज श्री कृष्ण को गर्ग ऋषि के पास लेकर गए, उस समय तक श्री कृष्ण को अपने जीवन के लक्ष्य का अंदाजा नहीं था. गर्ग ऋषि ने श्री कृष्ण को राधा से विवाह न करने के लिए सलाह दी. उन्होंने श्रीकृष्ण को बताया कि उसके असली माता पिता कौन है और किस हेतु श्री कृष्ण का जन्म हुआ है!
लेकिन फिर भी श्री कृष्ण और राधा का प्रेम यथास्थिति था. कुछ समय बाद कंस के बुलावे पर श्री कृष्ण को वृंदावन छोड़कर मथुरा जाना था, जिसके बाद श्री कृष्ण चुपके से राधा से मुलाकात करने पहुंचे. बिना कुछ कहे ही उन्होंने राधा को अपनी मुरली भेंट की और वापस लौट आए. जिसके बाद वह बलराम के साथ मथुरा की ओर रवाना हुए और उन्होंने वृंदावन छोड़ दिया.
दुनियादारी के दबाव में राधा को अपने पिता के कहे अनुसार विवाह करना पड़ा. कुछ ही समय पश्चात राधा का विवाह यशोदा के भाई प्रयाण के साथ हो गया और राधा को अपनी एक दुनिया बसानी पड़ी. उम्र के साथ भी राधा के मन से कृष्ण प्रेम कभी कम नहीं हुआ. वह अक्सर कृष्ण की मुरली बजाया करती थी और अपने आराध्य कृष्ण की यादों में लीन रहती थी.