इस बार मेंस हॉकी टीम ने इतिहास रच दिया है। ओलंपिक्स में 41 साल बाद मेंस हॉकी टीम ने आज भारत के नाम ब्रोंज़ मैडल किया है। भरता ने जर्मनी को 5-4 से हरा कर जीत हासिल की। सभी हॉकी खिलाड़ियों के लिए बहुत बड़ा और भावुक दिन साबित हुई। मनप्रीत सिंह और खिलाड़ियों ने काफी अच्छा प्रदर्शन दिखाते हुई जीत हासिल की।
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इससे पहले 41 साल पहले हॉकी मेंस टीम ने ओलिंपिक में जीत का मुंह देखा था। मास्को में 1980 के ओलंपिक में स्वर्ण पदक (Gold Medal) जीतने के बाद से यह हॉकी में भारत का पहला ओलंपिक (Olympic) पदक है। यह दोनों टीमों के बीच एक रोमांचकारी मामला था जो बीच से नीचे तक चला गया।
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उसके साथ आज 2021 में हमने फिर से यह मैडल अपने नाम किया। इस जीत ने सब का सर गर्व से ऊँचा कर किया है। सब बहुत खुश है व जश्न मना रहे है। प्रधान मंत्री ने फ़ोन करके टीम को बधाई दी। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आपने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया और पूरे देश को आप पर गर्व है।
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आपने एक मैडल देश की झोली में डाला है। आपको जीत के लिए बहुत-बहुत बधाई हो। प्रधानमंत्री की बधाई लेते हुई खिलाडी ने कहा कि इस जीत के पीछे आप भी है। आपने हमें बहुत प्रेरित रखा और आपका आशीर्वाद हमारे साथ रहा जिससे जीत तो मिलनी ही थी। सभी खिलाड़ियों ने अपनी पूरी कोशिश की और हार नहीं मानी।
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इसी मेहनत का नतीजा था कि हम इस साल जीत हासिल कर पाए। यह इतिहास में भारत ने तीसरा हॉकी का ब्रोंज मैडल (Bronze Medal) जीता है। इससे पहले दो 1968 मेक्सिको सिटी में और 1972 में म्युनिक गेम्स में मैडल जीता था।
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यह टोक्यो ओलंपिक में भारत की पुरुष हॉकी टीम के लिए एक अच्छी यात्रा थी। टोक्यो ओलंपिक्स में मेडलों की गिनती बढ़ती जा रही है। कुछ खिलाडी अपन खेलों के साथ जीत हासिल नहीं कर पाए तो कुछ ने इतिहास रच के दिखाया।
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जीत या हार तो जीवन में होती रहती है। परन्तु इन खिलाड़ियों की तरह अपनी पूरी मेहनत करना और हार न मानना ही असली जीत है। टोक्यो गए सभी खिलाड़ियों पर देश को गर्व है। प्रत्येक खिलाडी ने देश को गर्व महसूस कराया है।