Statue of Equality: कौन है संत रामानुजाचार्य? जिनकी हैदराबाद में बनाई गई है 216 फीट ऊंची मूर्ति?

इन दिनों हैदराबाद में बनी संत रामानुजाचार्य की मूर्ति चर्चा का विषय बनी हुई है, लोग जानना चाहते हैं कि आखिर ये दार्शनिक और संत कौन है जिनकी इतनी ऊंची मूर्ति बनाई गई है?

संत रामानुजाचार्य 11 वीं सदी के दार्शनिक और संत है जो भक्ति शाखा से तालुकात रखते हैं. अब इनकी हैदराबाद में 216 फीट लंबी मूर्ति बनाई गई है जिसका उद्घाटन 5 फरवरी की शाम 5:00 बजे मौजूदा प्रधानमंत्री द्वारा किया गया. संत रामानुजाचार्य की यह मूर्ति हैदराबाद के निकट स्थित श्री चिन्ना जियर स्वामी आश्रम परिसर में बनाई गई है.

खास बात यह है कि संत रामानुजाचार्य की 1000वीं जन्म तिथि पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. उनकी इस मूर्ति को स्टैचू आफ इक्वलिटी यानी कि समानता की मूर्ति कहा गया है.

इतिहास पढ़ने पर मालूम होता है कि संत रामानुजाचार्य का जन्म श्रीपेरंबदूर तमिल नाडु में 1017 में हुआ था. यह महान संत एक वैदिक दार्शनिक और समाज सुधारक थे उन्होंने अपने समय में पूरे भारतवर्ष में भ्रमण किया था और लोगों को समानता और न्याय का पाठ पढ़ाया था. इन महान संत ने उस समय समाज में व्याप्त कुरीतियों और अज्ञानताओं को दूर करने का पूरा प्रयास किया था.

संत रामानुजाचार्य ने उस समय मनुष्य के विकास के लिए खूब काम किया और लोगों को समझाया कि प्रत्येक इंसान भगवान की दया का पात्र है चाहे वह किसी भी जाति समुदाय या लिंग का हो. उनकी सोच महान थी, खास बात यह भी है कि संत रामानुजाचार्य 120 वर्षों तक जीवित रहे थे जिसके उपरांत उन्होंने 1137 में अपने प्राण त्यागे थे.

संत रामानुजाचार्य ने सभी को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार होने का आह्वान किया था उन्होंने उस समय सभी समुदायों और जाति विशेष के लोगों को पढ़ने के अधिकार के बारे में बताया क्योंकि उस समय कुछ जातियों को भी पढ़ने का अधिकार प्राप्त था. केवल इतना ही नहीं उन्होंने प्रकृति के संरक्षण पर भी खूब जोर दिया था और समाज में हाशिए पर खड़े लोगों के लिए मंदिरों के दरवाजे खोले.

इन महान संत की मूर्ति बनाने का सबसे पहला प्रस्ताव 2018 में रखा गया था. अभी इसे हैदराबाद के बाहर शमशाबाद में मुंशी तल स्थित जीयर इंटीग्रेटेड वेदिक अकैडमी में स्थापित किया गया है. चिन्ना जियर ने इस मूर्ति को डिजाइन किया है और यहां बीते 2 फरवरी को ही महायज्ञ की शुरुआत हो गई थी जिसमें 5000 विद्वान यज्ञ कर रहे थे. बताया जा रहा है कि यह आधुनिक समय का सबसे बड़ा महायज्ञ था जो 14 फरवरी तक चलेगा.