पिता ने ऑटो चलाकर बेटी को पढ़ाया, अब बेटी को मिला विदेशी कंपनी से 41 लाख का पैकेज, जाने पूरी कहानी

हम अक्सर कई लोगों की मेहनत के किस्से तो सुनते आए हैं. कई लोग अपनी मेहनत के बलबूते पर ऊंचे–ऊंचे मुकाम हासिल कर लेते हैं और वे अपनी सारी बेड़ियां तोड़कर आगे निकल जाते हैं. ऐसे लोगों में एक अलग ही प्रकार का जुनून पाया जाता है, जिससे वे परिस्थिति की परवाह ना करते हुए अपनी जिंदगी में एक ऊंचा मुकाम हासिल कर लेते हैं.

कहा भी गया है कड़ी मेहनत करने वालों को तो भगवान स्वयं पूछता है, “बोल तेरी रज़ा क्या है”? आज भी ऐसी ही एक संघर्षशील जीवन की कहानी हम पेश करने जा रहे हैं. एक कहानी महाराष्ट्र की रहने वाली अमरूता करंदे के बारे में है. हाल ही में उन्हें एक विदेशी कंपनी में लाखों का सालाना पैकेज प्राप्त हुआ है.

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छोटी उम्र में ऊंची उड़ान- 21 वर्षीय अमरूता करंदे महाराष्ट्र की रहने वाली है. वह महाराष्ट्र के कोल्हापुर की रहने वाली है और वे कोल्हापुर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की इंजीनियरिंग की छात्रा है. वह सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में चौथे साल में पढ़ाई कर रही हैं. हाल ही में उन्होंने अपने कॉलेज में आयोजित प्री प्लेसमेंट में हिस्सा लिया और बड़े आश्चर्य की बात है कि पढ़ते पढ़ते ही उन्हें लाखों का पैकेज आवंटित हो गया है.

छात्रा को ADOBE यूएस कंपनी से ताल्लुक रखने वाली एक शाखा में 41 लाख रुपए का पैकेज मिला है. उनके शानदार प्रदर्शन से उन्होंने कंपनी से काफी तारीफें बटोरी है. उन्हें कंपनी में सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट इंजीनियर के पद पर मंजूरी दी है. वे अपनी सफलता से बेहद खुश हैं.

बड़े संघर्ष की कहानी–

अमरूता का जीवन बड़ा ही संघर्षशील रहा है. उनके पिता पेशे से ऑटो चलाते हैं उनका कहना है कि उन्होंने अर्थात उनके पिता ने उनकी कामयाबी के लिए बचपन से बड़े सपने देखे हैं. उनके माता-पिता लगातार उनकी सफलता के लिए कई सालों से संघर्ष कर रहे हैं. उनके पिता रात दिन मेहनत करते हैं ताकि उनकी बेटी आराम से पढ़ सके.

उनका कहना है कि उनकी संपूर्ण सफलता का श्रेय उनके माता-पिता को है क्योंकि उन्होंने मेरी पढ़ाई में कभी कोई कमी नहीं रखी है. वे स्वयं हमेशा अभाव में रहे लेकिन मुझे आगे बढ़ने के अवसर देते रहे. उनका कहना है कि वह भारत में सूचना और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में विशेष काम करना चाहती है.

छात्रा की बड़ी सफलता के बाद कोहलापुर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के चेयरमैन सुनील कुलकर्णी ने उन्हें बधाइयां दी है. मीडिया के साथ की गई खास बातचीत में उन्होंने बताया कि छात्रा हमेशा से ही पढ़ाई में तेज रही है इसके अलावा कुछ समय पहले ही इन्होंने कोडिंग में कॉलेज में पहली रैंक प्राप्त की. उनकी सफलता से कॉलेज प्रशासन बेहद खुश है.

यह खुशी इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि अमरूता का जीवन विशेष संघर्षशील रहा है, ऐसे में कई छात्र तो बड़ी जल्दी ही हार मान लेते हैं और अपने भाग्य से समझौता कर लेते हैं लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और आखिरकार बड़ी सफलता हासिल कर ली है.

जानकारी के लिए बता दें कि अमरूता पश्चिमी महाराष्ट्र की पहली ऐसी लड़की है जिन्होंने बतौर इंजीनियरिंग छात्रा इतना बड़ा पैकेज हासिल किया है. और वह भी कॉलेज चलते चलते. मीडिया के साथ खास बातचीत में उन्होंने बताया कि वह हमेशा से ही मेहनत करती आई थी लेकिन वह एक डॉक्टर बनना चाहती थी. लेकिन एसएससी की तैयारी में 97% हासिल करने के बाद उनका रुझान इंजीनियरिंग की तरफ बढ़ गया.

कॉलेज के शुरुआती दौर में बहुत सोचा करती थी कि वे डॉ बनती तो ज्यादा अच्छा था लेकिन उन्होंने अपने चुने हुए रास्ते पर पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार मेहनत कर दी गई. यह एक मिसाल भी है कि यदि आपके पास संसाधन कम भी है तो इसका आशय यह नहीं है कि आप जीवन में बड़ी सफलता हासिल नहीं कर सकते. यदि सुचारू मेहनत की जाए तो कोई भी मुकाम बड़ा नहीं है.