आज भारत के युवाओं में कुछ है तो बस सरकारी नौकरी पाने का पागलपन। लेकिन इस से ऊपर उठ कर, सरकारी नौकरी की तैयारी छोड़ कर खुद के आईडिया पर काम कर के बिजनेस करना बहुत मुश्किल है। ये मुश्किल क्यों है?ये मुश्किल इसलिए है क्योंकि ये समाज और इस समाज के लोग, घरवाले ऐसा करने के लिए समर्थन नहीं करते है। क्योंकि इस समाज में तो सिर्फ सरकारी नौकरी को ही वैल्यू दी जाती है। लेकिन सत्य तो ये भी है कि सभी तैयारी करने वाले सरकारी नौकरी नहीं पा सकते। सरकारी नौकरी तो सिर्फ उतने लोगों की लगेगी जितने की भर्ती निकलेगी।
तो क्या बाकी के सब लोग ज़िंदगी में असफल हो गए है? ऐसा बिलकुल नहीं है। बल्कि सरकारी नौकरी करने वालों से तो कई ज्यादा सफल खुद का बिजनेस करने वाले हुए है। जी हाँ ऐसा ही कुछ कर दिखाया है उत्तर प्रदेश के रहने वाले अनुभव दुबे (Anubhav Dubey) ने। उन्होंने UPSC की तैयारी छोड़कर चाय का बिजनेस शुरू किया और आज 4 से 5 साल में 100 करोड़ से भी ज्यादा का कारोबार कर चुके है। अभी अनुभव “चाय सुट्टा बार(Chai Sutta Bar)” के नाम से अपना ये बिजनेस चलाते है।
तो चलिए हम आपको इसी अविश्वसनीय कहानी के पूरे सफर के बारे में बताते है-
शुरुआती जीवन
अनुभव(Anubhav Dubey) का शुरूआती जीवन बिलकुल सामान्य लोगों की तरह ही गुजरा है। उनके घर की आर्थिक स्थिति भी कोई खास नहीं थी। अपने स्कूल समय में उनके पास सिर्फ एक यूनिफार्म थी। जिसे धो कर अगले दिन उन्हें वापस से यही स्कूल यूनिफार्म पहननी पड़ती थी। अनुभव बताते है कि इन सब बातों से वो कभी परेशान नहीं होते थे। वह बाकी लड़कों की तरह ही स्कूल में पढ़ाई के साथ साथ खेल खुद कर के खूब मस्ती भरा समय बिताते थे।
अपने स्कूल समय के बाद अनुभव को कॉलेज पढ़ाई के लिए इंदौर भेज दिया गया था। वहाँ पर उनके दोस्त आनंद से उनकी मुलाकात हुई। अनुभव बताते है उनके और आनंद के दिमाग में कई तरह के बिजनेस करने के विचार आते थे। लेकिन कॉलेज समय में वो इन बिजनेस विचारों को लागू नहीं कर पाए।
कैसे विचार आया इस बिजनेस का
अनुभव(Anubhav Dubey) शुरुआत से ही पढ़ाई में होशियार थे। तो अनुभव बताते है कि एक मध्यम वर्ग के परिवार की तरह मेरी फैमिली भी यही चाहती थी कि मैं UPSC की तैयारी कर के सरकारी अफसर बनु। तो अब उन्हें UPSC की तैयारी के लिए दिल्ली भेज दिया गया। जहाँ से कोचिंग कर के वो UPSC की तैयारी कर सके।
तब उनकी तैयारी के बीच उनके दोस्त आनंद का कॉल आता है। आनंद कहता है कि अपने कॉलेज के किसी आईडिया पर बिजनेस शुरू करते है। तब आनंद, अनुभव को चाय के बिजनेस का सुझाव देते है। ये आईडिया सामान्य है पर अनुभव को ये विचार बहुत पसंद आता है। क्योंकि अनुभव सोचते है कि इंडिया में चाय बहुत बिकती है और इसे हम नए तरीके से बड़े स्तर पर ले जा सकते है। ऐसे कर के वो चाय के बिजनेस आईडिया को फाइनल करते है।
चाय के बिजनेस का सफर
अब अनुभव(Anubhav Dubey) अपना सारा सामान दिल्ली में ही छोड़कर, सिर्फ दो जोड़ी कपडे लेके इंदौर पहुंच जाते है। जहाँ से उनकी कॉलेज की पढ़ाई पूरी हुई थी। इसके बारे में अनुभव ने अपने घरवालों को कुछ नहीं बताया। इस काम के लिए वो इंदौर शहर को इसलिए चुनते है क्योंकि कॉलेज पढ़ाई में उनका बहुत समय यहाँ गुजरा था। वो इंदौर शहर को बहुत अच्छे से समझने लगे थे।
अब अनुभव और आनंद ने इंदौर शहर में बहुत घूमने के बाद एक जगह को निश्चित किया (सीमेंट से बनी हुई एक साधारण सी दुकान) जहाँ पर वो अपना चाय का बिजनेस शुरू कर सकते। इस जगह को निश्चित करने के पीछे अनुभव बताते है कि ये दुकान चौराहे के कार्नर पर थी और पास में कुछ पेड़ भी थे। तो उन्हें ये जगह अच्छी लगी। उन्होंने अब “चाय सुट्टा बार(Chai Sutta Bar)” अपने बिजनेस का नाम रखा।
इस पर अनुभव(Anubhav Dubey) कहते है कि आप अपने बिजनेस का नाम इस तरह से रखे जो लोगों को जल्दी से याद हो जाए। उनका मानना है कि कुछ भी उलझा हुआ नाम न रखे। साधारण सा नाम रखे जो लोगों को आसानी से याद रह जाए। 3 लाख रूपये का निवेश कर आखिर में उन्होंने वो चाय की दुकान शुरू कर दी थी। पैसे ज्यादा खर्च न हो इसके लिए अनुभव और उसके दोस्त ने किसी को काम पर नहीं रखा, बल्कि खुद ही सारा काम करते थे। लेकिन काफी समय बाद भी उनकी दुकान नहीं चल रही थी। कोई भी उनकी दुकान पर चाय पीने नहीं आते थे। इस से अनुभव बहुत निराश हुए लेकिन अब वो इसे छोड़ भी नहीं सकते थे।
चूंकि इतनी बड़ी पढ़ाई वो छोड़ कर आये थे और पैसे लग चुके थे, तो अनुभव कहते है यहाँ से पीछे हटने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। अनुभव सोचते है अब कुछ नए तरीके अपनाये जाए और नए तरीकों से चाय बेचने की कोशिश की जाए। तब वो अपने सारे कॉलेज दोस्तों को बुलाते है अपनी दुकान पर चाय पीने के लिए। सारे दोस्त उनकी दुकान पर चाय पीने आये। चाय की दुकान पर इतनी भीड़ देख कर लोगों को लगा है ये चाय की दुकान बहुत अच्छी है। उस दिन बहुत सारे ग्राहक उनकी चाय की दुकान पर आये थे। इस तरह से “चाय सुट्टा बार(Chai Sutta Bar)” का नाम कुछ ही दिनों में इंदौर के लोगों की जुबान पर आ गया। अब बहुत तेजी से उनकी दुकान चलने लगी।
चाय के बिजनेस की सफलता और मुनाफा
चाय की दुकान पर अब इतनी भीड़ लगने लगी थी की उसको सँभालने के लिए कई लड़कों को काम पर रखना पड़ता था। चूँकि उनके दुकान की चाय इतनी स्वाद-भरी और अच्छी थी कि एक बार आया ग्राहक वापस वही आके रुकता।
इसे देखते अनुभव(Anubhav Dubey) ने इंदौर में ही “चाय सुट्टा बार(Chai Sutta Bar)” बार की फ्रेंचाइजी देनी शुरू कर दी। फ्रेंचाइजी का मतलब होता है ‘किसी क्षेत्र में कम्पनी की वस्तुएँ बेचने या सेवाएँ उपलब्ध कराने की अनुमति देना।’ अभी बिजनेस को शुरू करे महज 6 महीने ही हुए थे की 4th फ्रेंचाइजी के लिए अनुभव के पास मुंबई से कॉल आया।
अनुभव को लगा की अब रुकना नहीं इस “चाय सुट्टा बार(Chai Sutta Bar)” को इंडिया के साथ साथ पूरे विश्व में चलाना है। अभी भारत और विदेशों में कुल मिलकर 150 से भी ज्यादा दुकानें उनकी चलती है। एक दिन में 3 लाख से भी ज्यादा कुल्हड़ चाय बिकती है। दुबई, मस्कट (ओमान), नेपाल जैसे कई देशों में “चाय सुट्टा बार(Chai Sutta Bar)” चलता है। अनुभव कहते है कनाडा और अमेरिका में भी वो अब अपनी दुकान खोलेंगे। अनुभव कहते है एक छोटी से दुकान से छोटी कमाई का ये सफर शुरू हुआ था। शुरुआत में 2-3 लाख की कमाई से अब तक 100 करोड़ की कमाई कर चुके है।
प्रेरणा देती है अनुभव की कहानी
एक सामान्य परिवार में जन्मे अनुभव(Anubhav Dubey) की ये कहानी सभी के लिए प्रेरणा श्रोत है। जिसे उसका परिवार और समाज बाकी सब की तरह ही सरकारी नौकरी में धकेलना चाहता था। लेकिन अनुभव के आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय से किये गए इस काम ने आज मिसाल कायम कर दी है। अनुभव के इस बिजनेस को करने के पीछे उनका आत्मविश्वास साफ़ झलकता है। आज उनका परिवार और ये समाज सब उनकी तारीफ़ करते है। उनकी कहानी से मोटीवेट होते है।
किसी भी बिजनेस को लेकर अनुभव के विचार
जिस दिन अनुभव के पास उनके दोस्त आनंद का कॉल आया अगर वो उस दिन ये निर्णय नहीं लेते तो शायद आज इस मुकाम पर नहीं होते। अनुभव कहते है ज़िंदगी में निर्णय लेना और साहस दिखाना बहुत जरुरी है। यही उम्र है आपके दौड़ने की तो दौड़िये आप। अनुभव कहते है जीवन में रिस्क लेनी चाहिए लेकिन सोच समझकर नियंत्रित रूप से।
किसी भी बिजनेस को करने के लिए आपको इस दुनिया से बहार सोचने की जरूरत नहीं है। अनुभव(Anubhav Dubey) कहते है आपको गढ़ा खोदकर कोई आईडिया निकालने की जरूरत नहीं है। आईडिया आपके आस-पास ही है। उन्हें देखो, समझो और लागू करो। इन सब के लिए कम्युनिकेशन स्किल्स (लोगों से बात करने की समझ) का होना बहुत जरूरी है।