जीवन में सफलता हासिल करना तो हर कोई चाहता है। परन्तु सफलता उन्हें ही हासिल होती है जो दिन रात मेहनत कर खुद को अपने सपनों के लिए समर्पित कर देते है। आइए आज आपको मिलवाते है गुजरात की इकलौती यू.पी.एस.सी. (UPSC) पार करने वाली महिला कोमल गनात्रा (Komal Ganatra) से।
IAS या बड़ी नौकरी के सपने तो कई लोग देखते है। लेकिन कुछ चुनौतियों को चुनौती दे कर अपने लक्ष्य को हासिल करते है और कुछ हार मान कर अपने सपनों को भूल जाते है। यू.पी.इस.सी. (UPSC) एक ऐसी परीक्षा है जो आपको सफल होने पर सफलताओं की ऊंचाइयों पर पहुंचा सकती है। परन्तु हार जाने पर आपको आसमान से जमीन पर ला फेंकती है।
कोमल का परिवार
कोमल गनात्रा (Komal Ganatra) का तालुक एक साधारण परिवार से है। कोमल अपनी जीत की वजह अपने परिवार को मानती है। उनका कहना है उनके पिता ने उन्हें हमेशा प्रोत्साहित रखा और अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ने की हिम्मत दी। वह बताती है कि उनके 2 भाई भी है परन्तु उन्हें कभी भेद-भाव का सामना नहीं करना पड़ा। उन्हें हमेशा सामान अधिकार मिले जिसके कारण कोमल एक संघर्षशील मनुष्य के रूप में सामने आई और एक साधारण सी महिला ने आसाधारण कहानी रची।
जीवन की चुनौतियां
इन्हें भी जिंदगी में बहुत मुसीबतों का सामना करना पड़ा था। शुरुआती तौर पर इनकी सोच भी बाकी लड़कियों की तरह ही थी। जो यह मानती थी कि एक लड़की के जीवन में हमसफ़र का होना बहुत ज़रूरी है। पर इनकी सोच शादी के कुछ समय बाद में ही बदल गयी। इनकी शादी एक एन. आर. आई. (NRI) से हुई थी और वह अपनी शादी को लेकर बहुत खुश थी परन्तु कोमल के ससुराल वाले बहुत लालची थे।
कोमल के घर वालों से सोचा लड़का NRI है तो शादी के बाद कोमल भी अपने पति के साथ विदेश चली जायेगी और खुश रहेगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ बल्कि इसका उल्टा हुआ। शादी के 15 दिन बाद ही उनके पति उन्हें छोड़ न्यूजीलैंड (New Zealand) चले गए और उनको उनके ससुराल में दहेज़ के लिए तरह तरह से प्रताड़ित भी किया गया।
उसी दौरान कोमल 2008 में गुजरात पब्लिक सर्विस कमीशन की मेंस (Mains) की परीक्षा पास कर ली थी परन्तु उनके पति ने उन्हें इंटरव्यू देने की इजाजत नहीं दी। ऐसे कर के कोमल के पति ने कोमल के सपनों पर पूर्ण विराम लगाना चाहा। कोमल अपने पति से बहुत प्यार करती थी इसलिए कोमल उनको हर बात मानती थी। कोमल ने वह सब कुछ छोड़ दिया जिसके लिए उसके पति मना करते थे।
परन्तु इतना कुछ अपने पति के लिए करने के बाद भी उसका पति शादी के 15 दिन में उसे छोड़ कर चला गया। लेकिन कोमल को लगा यहाँ कोई गलतफेहमी हो रही है और कोमल ने अपने पति को वापस बुलाने के लिए हर संभव प्रयास किया। यहाँ तक कि कोमल ने न्यूजीलैंड की संसद को खत भी लिखा। न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री ने इस खत का जवाब भी दिया लेकिन फिर कोमल को यह एहसास हुआ कि गए हुए को वापस तो बुला सकते है लेकिन वो कभी अपना नहीं होगा। पूरी तरह से टूट चुकी कोमल ने अब खुद की पहचान बनाने और अपने पापा के सपनों को पूरा करने का दृढ़ संकल्प लिया।
स्कूल अध्यापिका से आई.आर.एस (IRS) तक का सफर
उसके बाद कोमल ने अपने पिता के घर से 40 किलोमीटर दूर एक गांव में जाकर आगे की तैयारी करने का फिसला किया। जहाँ उनके पास फ़ोन, लैपटॉप और इंटरनेट भी नहीं था। तभी वह एक स्कूल में भी पढ़ाने लगी थी जहाँ उन्हें बस 5000 रुपया सैलरी मिलती थी जिससे वह अपना गुजरा चला लेती थी। बिना इंटरनेट और अंग्रेजी अखबारों की सुविधा के उन्होंने यू.पी.ऐस.सी (UPSC) की तैयारी की।
वह बताती है कि यह सफर मुश्किल जरूर था लेकिन नामुमकिन नहीं। वो कहते है न “अगर किसी चीज को शिद्धत से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुम्हारा बनाने में जुट जाती है।” यह वाकया कोमल के सफर और जज्बे को बखूबी बयान करता है। इस दौरान उन्हें धुत-कार और अपमान का सामना भी करना पड़ा। उन पर ठुकराई हुई औरत का धब्बा लगा दिए गया। समाज उन्हें और उनके परिवार को अपमानित करने एक मौका भी हाथ से जाने नहीं देते थे।
इतनी मुश्किल और चुनौतियों के बाद एक दिन उनकी जिंदगी में खुशियों का भी आया। जब उनके रात दिन की मेहनत रंग लायी। उन्होंने एक आई.आर.एस (IRS) बन कर अपने ऊपर लगे धब्बे को मिटाकर सभी तानों का मुँह तोड़ जवाब दिए।
कहते है कि भगवान भी हमारा तभी साथ देता है जब हम खुद के लिए खड़े होते है। अपने सपनों के लिए लड़ने की हिम्मत रखते है। एक आम से घर से आई कोमल ने जिंदगी के हर मोड़ पर खुद को साबित किया। बिना किसी के सहारे के वह अपने लिए खड़ी रही। पति के धोखे और समाज के ना सहन होने वाले तानों के बावजूद हार नहीं मानी।
किसी ने सही कहा है कि – “हमें जिंदगी हार मान लेनी की कई वजह देती है परन्तु हमें केवल उस एक वजह को ढूंढ़ना होता है जो हमें हारने न दे।”
केवल सपने देखने से सपने पूरे नहीं होते उनके लिए जी-जान से रात-दिन एक करना होता है। तभी सफलता आपके कदम चूमती है। आपको पीछे खींचने के लिए हर कोई तत्पर होता है परन्तु खुद से ऊपर उठाने वाले बहुत कम। केवल कोमल नहीं बल्कि इनके माता पिता भी हमारे समाज के लिए एक उदाहरण बनते है जो हमें बेटे और बेटी में समान बनाए रखना सिखाते है।
बेटे और बेटी में भेद-भाव न ही केवल मन-मुटाव पैदा करते है बल्कि उनके आने वाले भविष्य पर बुरा प्रभाव भी डाल सकता है। कोमल कहती है कि हर सपना अनोखा होता है। जिनके हम उदाहरण देते है और सुनते है आखिर वह भी आम इंसान ही होते है। यदि हम उनकी जिंदगी से सिख कर आगे बढ़े तो हम और हमारी जीवन यात्रा भी किसी की उदाहरण बन सकती है।