Asha Kandara : संघर्ष से सफलता की कहानी, सड़कों पर झाड़ू लगाने वाली आशा कंडारा बनी RAS Officer

कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता , एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों….

आज हम आपके लिए ले कर आए है ऐसी कहानी जो हर पाठक के हौंसलों को बुलंद कर देगी। ये संघर्ष की एक ऐसी कहानी है जो शायद आज तक सिर्फ फिल्मों में ही देखने को मिलती है। सड़कों पर झाड़ू लगाते हुए और अपने दो बच्चों की परवरिश करते हुए RAS बनना सभी के लिए प्रेरणादायक है। ये कहानी एक ऐसे संघर्ष की है जो हर हारे हुए व्यक्ति को एक नई ऊर्जा देगी। सफलता पाने के लिए एक नई सोच देगी।

ये कहानी है जोधपुर की रहने वाली आशा कंडारा (Asha Kandara) की। जिन्होंने जोधपुर नगर निगम की सफाई कर्मी होते हुए राजस्थान की सबसे मुश्किल परीक्षा आरएएस-2018 (RAS-2018) में अपना चयन पाया। दरअसल आरएएस-2018 (RAS-2018) का परिणाम अभी कुछ दिन पहले जुलाई 2021 में घोषित हुआ है। जिसमें सफाई कर्मी आशा कंडारा का चयन हुआ है। सफलता पाने के लिए धैर्य और लगन की जरूरत होती है।

वो कहते है न-

जितना बड़ा सपना होगा उतनी बड़ी तकलीफें होगी और जितनी बड़ी तकलीफें होंगी उतनी ही बड़ी कामयाबी होगी

जोधपुर नगर निगम की सफाई कर्मी आशा का नाम ही उम्मीदों से भरा हुआ। आशा ने अपने नाम को अपने व्यक्तित्व में उतारते हुए जीवन में कभी हार नहीं मानी और कभी आशा नहो छोड़ी। आशा कंडारा (Asha Kandara) की संघर्ष भरी कहानी सभी पढ़ाई करने वाले युवाओं के लिए प्रेरणादायक है।

हम आपको आशा के संघर्ष और पढ़ाई के प्रति निष्ठा की कहानी शुरू से बताते है-

आशा का शुरुआती जीवन

आशा का जीवन बहुत संघर्षों और तकलीफ भरा रहा है। आशा बताती है कि इस RAS बनने के लिए वो 2016 से प्रयासरत रही है। आशा कंडारा (Asha Kandara) ने 2016 से RAS बनने के लिए तैयारी शुरू की थी और सफलता आज 2021 में मिली। अब आप देख सकते है आशा ने कितना धैर्य बनाये रखा और इस मुकाम को हासिल किया।

आशा का ये दौर संघर्ष भरा ऐसे रहा क्यूंकि आशा के घर की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी कि वो चयन होने तक सिर्फ पढाई करती रहे। पढ़ाई के साथ आशा को काम भी करना पड़ता था और आशा के दो बच्चे है तो उन्हें पढ़ाने की जिम्मेदारी भी आशा पर थी। इसके लिए आशा ने पहले किसी निजी कंपनी में कार्य किया।

उसके बाद आशा ने नगर निगम का भी फॉर्म भर रखा था। अब आशा पढ़ाई में इतनी होशियार और काबिल थी कि उनका नगर निगम में चयन होना ही था। आशा ने बिना किसी झिझक के जोधपुर नगर निगम की नौकरी को स्वीकार किया। जीवन में मिली चुनौतियों से लड़ने के लिए आशा ने हाथों में झाड़ू थाम जोधपुर की सड़कों पर नगर निगम की सफाई कर्मी बनकर काम किया।

लोग सोचते है ये तो छोटा काम है ऐसा काम क्यों करें। लेकिन आशा कहती है कोई भी काम छोटा नहीं होता है जो आपको काम मिला है उसे पूरे मन से और सिद्धत से करो। आशा का मानना है कि जिस काम से आपका घर चले भला वो काम कैसे छोटा हो सकता है? आशा कहती है इसी नगर निगम की सफाई कर्मी की नौकरी से उनका घर चलता था और उसी के पैसों से वो पढ़ पाई।

वो कहते है न

अगर आप कुछ सोच सकते है, तो यकीन मानिए आप उसे कर भी सकते है

आशा से जब उनके सफाई कर्मी होने के बारे में पूछा जाता है तो आशा कहती है कि-“लोग क्या कहेंगे यह सोच कर जीवन जीते है तो कुछ नहीं कर पाओगे।” आप अपने सपनों के लिए मेहनत करें और उस संघर्ष भरे रास्ते पर चलें।

आशा ने सफाई कर्मी नौकरी और पढ़ाई दोनों कैसे साथ सम्भाली?

आशा की सफाई कर्मी की नौकरी का समय सुबह 6 बजे से दोपहर 2 बजे तक था। आशा बताते है वो अपनी पढ़ाई की किताबें नौकरी पर साथ ले जाती थी। लंच के समय में जब समय मिलता तब वो पढ़ती थी। अगर किसी दिन काम कम हो तो वह पर भी समय निकाल कर आशा पढ़ा करती थी। आशा कहती है जब भी मुझे खाली समय मिलता था मैं उसे अच्छी जगह ही इस्तेमाल करती थी।

आशा बताती है नौकरी करने के बाद वो घर आकर पढ़ाई करती थी। फिर शाम को 4 बजे से ऑनलाइन (Online) क्लास लगती थी। अपनी ऑनलाइन क्लास को पूरे ध्यान से अटेंड करती थी। इस तरह आशा जितना अधिकतम समय अपनी पढाई को दे सकती थी वो उन्होंने दिया। और आज परिणाम सबके सामने है कि आशा कंडारा (Asha Kandara) का RAS में चयन हो गया।

आशा का लोगों के लिए संदेश

ETV Bharat Rajasthan को दिए एक इंटरव्यू में आशा ने कहा कि- “कोई भी व्यक्ति या समाज छोटा नहीं होता है। जो व्यक्ति अपनी सोच बड़ी रखता है वो जरूर बड़ा मुकाम हासिल करेगा। आशा कहती है व्यक्ति की सफलता उसके कर्मों पर निर्भर करती है। ऐसा कोई भी काम नहीं जो कोई नहीं कर सकता।

आशा कहती है अगर मैं मेहनत कर के RAS बन सकती हूँ तो कोई भी यह कर सकता है। धैर्य बनाये रखो और अपनी मेहनत पर विश्वास रखो और बस उस काम को करते जाओ जब तक सफलता हासिल न हो जाए। यह मेरा मानना है कि शादी के बाद लड़कियों के लिए थोड़ा ये मुश्किल हो जाता है। घर को संभालना और बच्चों को सम्भालना इसके बाद समय निकलना मुश्किल होता है।

लेकिन ऐसा नहीं है कि फिर आप अपने सपनों को पूरा नहीं कर पाओगे। फिर आपको अपने परिवार का साथ चाहिए होगा और आपकी मेहनत थोड़ी ज्यादा करनी पड़ेगी। आशा कहती है इसके बावजूद आप धैर्य बनाये रखे और अपने सपनों के लिए मेहनत करते जाए। आशा कहती है मेरे परिवार और बच्चों ने मेरा खूब साथ दिया और उनके साथ से वह आज इस मुकाम को हासिल कर पायी।