जीत की आस तो हर कोई रखता है परन्तु कुछ लोग चुनौतियों से हार मान जाते है तो कोई सूरज की तरह चमकने की चाह में आगे निकल जाते है। आज हम एक ऐसे शख्स के बारे में बात करने वाले है जिसने बार-बार निराशाओं का सामना किया परन्तु फिर हिम्मत बटोरी और कई ज्यादा मजबूती के साथ चुनौतियों का सामना किया। जिंदगी में अगर कुछ ठान ली जाए तो सब कुछ संभव है।
संदीप बुडानिया की कहानी
यह कहानी है संदीप बुडानिया की। यह अभी 3 साल से दिल्ली में इनकम टैक्स इंस्पेक्टर है। इन्होंने 2018 में दिल्ली जोइनिंग ली थी परन्तु तैयारी 2010 से ही शुरू कर दी थी। इनका सपना था आर्मी या नेवी में अफसर बनना। इनके पिता आर्मी में थे जिस कारण से इनका उस नौकरी के प्रति बहुत लगाव था। इनके दिमाग में आर्मी अफसर बनने के अलावा और कुछ नहीं था।
बारहवीं से पहले ही इन्होंने एन.डी.ऐ (NDA) के पेपर पार कर लिए परन्तु इंटरव्यू में रह गए। यह पहला झटका इनके लिए बहुत दुख भरा था और इसका असर इनकी 12th के नतीजों में भी दिखा। यह सिर्फ एक बार नहीं हुआ कई बार उन्हें हताशा का सामना करना पड़ा।
अंत में कुछ न कुछ ऐसा हो जाता था कि यह सेलेक्ट नहीं हो पाते थे। उम्र जरूर छोटी थी परन्तु सपने नहीं। इन्होने आर्मी या नेवी में अफसर बनने के लिए जी जान से मेहनत की। जो भी परीक्षा उन्हें उस मुकाम पर ले जा सकती थी उन्होंने वह सब परीक्षाएँ दी। परन्तु किस्मत इन्हें आजमाने पर लगी थी और लगातार 19 बार यह इस से फैल हो गए।
चुनौतियों भरा रहा सफर
इनके घर वालों ने कभी इनका साथ नहीं छोड़ा और कभी इन्हें निराश नहीं होने दिए। सिर्फ यही नहीं इन्होंने और भी कई क्षेत्रों के फार्म भी भरे परन्तु लगातार 34 बार इन्हें असफलता का सामना करना पड़ा। ऐसा लगने लगा था की चुनौतियां हाथ धो के इनके पीछे पड़ चुकी है।
परन्तु किस्मत भी उसी को आजमाती है जिसमें कुछ कर गुजरने का जज्बा हो। उस वक़्त हालत इतने खराब हो चुके थे कि इन्हें कॉल सेंटर तक में 15000 तक की नौकरी भी नहीं मिली। परन्तु इन्होंने कभी हार नहीं मानी इनके दिमाग में सरकारी नौकरी की चाह बनी हुई थी। वह चाहते तो उस वक़्त अपनी मंज़िल बदल सकते थे परन्तु उन्होंने मंजिल नहीं रास्ता बदलने का सोचा। सपने वही साकार होते है जिन्हें अपनी जीने की आस बना ली जाए।
34 बार हार जाने के बाद इनकी हिम्मत टूटने लगी थी परन्तु यदि घर वाले साथ देने वाले हो तो किस्मत को भी झुकना पड़ जाता है। 35वीं बार में सफलता इनका इंतज़ार कर रही थी। जब इन्होंने इनकम टैक्स अफसर के लिए परीक्षा दी और वह पास हो गये । उस दिन में इनके और इनकी पिता के आँखों में आंसू थे परन्तु वह आंसू ख़ुशी के थे।
तैयारी करते समय नींद आती है तो क्या करें ?
आज यह जब अपने पिछली जिंदगी में झांक कर देखते है तो सोचते है कि इन्होंने क्या-क्या गलतियां की और क्या-क्या सीखा। सफर मुश्किल जरूर था परन्तु अंत में उतना की सुकून भी था। इनका मानना है की हर किसी के नसीब में सफलता लिखी है पर आपको केवल हार नहीं माननी और मंजिल की तरफ बढ़ते रहना है। जिंदगी में सिर्फ दो चीज़ें होती है या तो आदमी जीतता है या सीखता है। हर हार के पीछे एक सीख छुपी होती है।
एक बात इनको हमेशा प्रेरित करती थी, यह बताते है कि यदि आपको तैयारी करते समय नींद आती है तो सोते वक़्त अपने माँ-बाप का चेहरा याद करो। उस चेहरे के पीछे छुपी उम्मीदें आपको सोने नहीं देंगी। यदि आपके अंदर जीतने की आग है तो सफलता हासिल करने से आपको कोई नहीं रोक सकता। किसी चीज को पाने के लिए आपके अंदर पागलपन होना बहुत जरूरी है। इनकी कहानी हमें सिखाती है कि चाहे कितनी भी बार चुनौतियों का सामान करना पड़े परन्तु कभी हार नहीं माननी चाहिए।