लोगों की सफलताओं की कहानियाँ हमने बहुत सुनी होंगी परन्तु आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने वाले है जो 47 बार फेल हो चुके है। लेकिन इसके बाद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी। यह कहानी है राजस्थान में अलवर के एक गांव में रहने वाले 82 साल के शिवचरण यादव की। यह व्यक्ति 47 साल तक 10वीं पास नहीं कर पाए।
जब जीवन में पहली बार 10वीं की परीक्षा दी तब इनको बहुत खुशी थी लेकिन जैसे ही 10वीं के परिणाम आये इनकी ख़ुशी गम में बदल गयी। अपने जीवन की पहली 10वीं की परीक्षा में फेल हो गए थे। इसके साथ उनका 10वीं पास करने का सपना भी टूट गया था। इसके बाद शिवचरण ने ठान ली कि मुझे कुछ भी हो जाए 10वीं पास करनी है।
और इसी को इन्होंने अपनी ज़िद बना ली थी कि 10वीं पास करने के बाद ही वह शादी करेंगे परन्तु न 10वीं पास हुई और न ही शिवचरण की शादी। कई बार इंग्लिश और गणित में तो इन्हें शून्य अंक प्राप्त हुए। अब इनके शरीर के अंगों ने भी ठीक से काम करना बंद कर दिए है परन्तु जज्बा और हौसला अभी भी बना हुआ है। इनकी हिम्मत अभी भी बरकरार है।
यह 1968 से लगातार 10वीं की परीक्षा दे रहे है परन्तु 47 बार परीक्षा देने के बावजूद 10वीं पास नहीं कर पाए। इतनी बार नाकाम होने के बावजूद इन्होंने हार नहीं मानी और आखिर इन्होंने जीत हासिल कर ही ली। और आगे की कहानी और भी दिलचस्प है। अगर आप जानेंगे कि आखिरकार इतनी बार फेल होने के बाद इन्होंने 10वीं किस तरह से पास कर ली। तो यह वाकया बहुत ही गजब का है।
यह बात सुन कर आप चौक जाएंगे परन्तु यह सत्य है। इतनी बार इम्तिहान देने के बावजूद वह पास नहीं हुए। लेकिन आखिरकार शिवचरण की ज़िंदगी में वो दिन आया कि शिवचरण 10वीं पास हो गए। और दिलचस्प बात यह है कि इस बार शिवचरण बिना परीक्षा दिए ही पास हो गए। कोरोना की वजह से सरकार ने इस बार सभी को बिना पेपर दिए पास कर दिया जिसके साथ उनका 10वीं पास करने का सपना भी पूरा हो गया।
कोरोना सभी के लिए घातक साबित हुआ है परन्तु शिवचरण के लिए बहुत ही अच्छा रहा है। कोरोना के कारण सभी बच्चों को बिना इम्तिहान के अगले दर्जे में बिठाया गया था। उनका मानना है पढ़ने के लिए उम्र मायने नहीं रखती। वह बताते है कि हर बार कुछ न कुछ ऐसा हो जाता था कि वह पास नहीं हो पाते। कई बार तो वह पास होने की कगार पर होते थे परन्तु हमेशा कुछ अंकों की कमी से यह मुमकिन नहीं हो पाता था। आखिरकार अपने सपने को पूरा करके शिवचरण बहुत खुश है।