आज के समय में हम सब शहरी जीवन जीना ही पसंद करते है। सभी लोग धूल मिट्टी से दूर बड़ी इमारतों में अपनी खुशियाँ ढूँढ़ते है। हर इंसान यही ख्वाहिश करता है कि उसके पास अच्छे कपड़े, अपना घर, अपना परिवार और नौकरी हो और यह बात कई हद तक सही भी है। क्योंकि जितना परिवर्तन और ऐशो आराम वाली जिंदगी और नौकरियाँ शहर में मिलती है उतनी गांव में नहीं मिलती।
आइए आज आपको मिलवाते है एक ऐसी महिला से जो शहर से कोसों दूर रेगिस्तान में अकेले 30 ऊँटों के साथ रहती है। इनका नाम “उशी” है। इनको दुबई की ‘कैमल क्वीन’ के नाम से भी जाना जाता है। यह जर्मन से है और खुद को “जर्मन कैमल लेडी” के नाम से बुलाती है। सोचने वाली बात यह है कि आखिर क्यों यह महिला सब से दूर रेगिस्तान में ऊँटों के साथ रहती है? क्यों यह अपनी आराम वाली जिंदगी छोड़ कर रेगिस्तान की तप्ती गर्मी में अपनी जिंदगी गुजारती है। यह कहानी 20 साल पहले शुरू हुई थी। उशी भी पहले शहरी जीवन ही व्यतीत करती थी जहाँ उनके पास अपना घर भी था। सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक अपनी जॉब करती थी। लेकिन अब ये सब छोड़कर अकेले रेगिस्तान में रहती है। 30 ऊँटों की देखभाल करती है।
परन्तु जिंदगी के एक मोड़ पर जाकर उनको इस बात का एहसास हुआ कि यह जिंदगी नहीं है जो वह चाहती है। क्योंकि उनके पास पैसा तो है पर फिर भी वह खुश नहीं है। उसी वक़्त उन्होंने अपना मन बदल लिया और शहर की चका चौंद से दूर जाने का फैसला कर लिया। उन्होंने सोच लिया कि अब वह यह सब और नहीं करना चाहती। वह अपनी ख़ुशी ढूंढ़ना चाहती थी और कुछ अलग करने की सोच भी रखती थी। उस वक़्त उन्होंने काफी सारे मुसाफिरों से बात की कि उन्हें ऐसी जगह ले चले जहाँ सूरज की रोशनी बहुत तेज आती हो। बहुत सारे ऊँटों के बीच जहाँ कोई ऐसा न हो जो उन्हें जानता पहचानता हो। आखिर में जाकर वह यह रेगिस्तान में जाकर रुकी, जहाँ उन्हें असली ख़ुशी महसूस हुई।
यह रेगिस्तान एमीरैट्स (United Arab Emirates) में पड़ता है। जहाँ दूर दूर तुक आपको सिर्फ रेगिस्तान ही रेगिस्तान नजर आएगा। यँही पर इन्होंने अपना घर बनाया और कुछ ऐसे लोगों को भी काम पर रखा जो उनकी मदद कर सके। यह सब देखने में जितना मुश्किल लगता है, करना उतना ही मुश्किल भी है। उन्होंने अपने 20 साल खेती में गुजार दिए। इन ऊँटों के बीच और आगे का जीवन भी ऐसे ही व्यतीत करना चाहती है। उनसे पूछा जाए तो उन्हें यहाँ किसी भी चीज की कमी नहीं है और वह यह बहुत खुश भी है।
इसके साथ साथ उशी ने अभी तक शादी भी नहीं की है। क्योंकि वह कहती है कि उनके पास अपने पति को देने का कोई वक़्त नहीं है। यहाँ आकर वह खुद को आधा अरब भी बताती है। इसके साथ साथ उन्होंने अरबी बहस और रहन सहन भी सीख कर उसे अपनाया भी है। अब उन्हें इस जिंदगी की आदत भी हो चुकी है। वह खुद को बहुत मजबूत और अलग खयालों वाली इंसान मानती है और खुद पर गर्व भी महसूस करती है। यह कभी कभी सख्त मिजाज की होने में भी देर नहीं लगाती। उनका मानना है कि काम में ढील देना, खुद को धोखा देने के बराबर है। इसके अलावा उन्हें गाड़ी चलाने का बहुत शोक है और उशी बखूबी यह काम कर भी लेती है। काम करने वाले लोगों को भी उन पर और उनकी सोच पर बहुत नाज़ है।
उन्हें देख कर कोई यह नहीं बता सकता कि वह जर्मन के शहर की शासन जिंदगी छोड़ के आई है। इनकी कहानी हमें जीवन में खुश रहने की प्रेरणा देती है। हम अपनी जिंदगी में पैसे के पीछे इस तरह भागते है कि खुशियाँ कहीं खो जाती है। उसे ढूंढ़ना और करना ही हमारे जीवन का लक्ष्य होना चाहिए जिस से हम खुश रहे। जिंदगी एक ही मिलती है तो काम ऐसा करो की आखिरी साँसे लेते वक़्त लगे की मजा आ गया।