एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी – मुम्बई की धारावी

हमने विभिन्न शहरों में कई झुग्गियां और झुग्गियों में रहने वाले लोग देखे हैं, देख सकते हैं कि उनका जीवन कितना कठिन है. लेकिन मुंबई के धारावी स्लम की बात ही कुछ अलग है.‌‌ यह भारत का ही नहीं बल्कि एशिया का सबसे बड़ा स्लम एरिया है, तथा दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्लम एरिया है.‌ सपनों के शहर मुंबई के बिल्कुल बीचोबीच स्थित धारावी कई बार चर्चा का विषय बना रहता है. अगर बात की जाए यहां रहने वाले लोगों की तो यहां लगभग 2 से 3 किलोमीटर में 12 लाख लोग रहते है‌.

क्या है इसका इतिहास–
जानकारी के अनुसार 18 सदी तक यह टापू हुआ करता था जिसके चारों ओर मछली पकड़ने वाले परिवार अर्थात मछुआरे रहा करते थे. लेकिन धीमे-धीमे इस टापू का पानी खत्म हो गया तथा यहां का पानी दलदल बनता गया उसके बाद लोगों ने यहां अपने घर बनाने शुरू कर दिए जो लोग शुरुआत में आए थे उन्होंने अपने घर आराम से बड़े बनाए थे लेकिन जैसे-जैसे इसमें ज्यादा से ज्यादा लोग बसते गए इसमें बेहद भीड़ इकट्ठा हो गई. आज एशिया का सबसे बड़ा स्लम एरिया बन चुका है.

धारावी की जनसंख्या दुनिया के कई देशों की जनसंख्या से भी ज्यादा अधिक है, धारावी जनसंख्या के मामले में फिजी, बहरीन, बहनास ग्रीनलैंड और घाना जैसे इलाकों को भी पीछे छोड़ देता है.
धारावी स्लम में रहने वाले 63% लोग हिंदू है तथा 30% लोग मुस्लिम है अन्य लोग बाकी समुदायों से हैं.

क्या है खास इस स्लम में?–
अक्सर हम देखते हैं कि झुग्गियों में रहने वाले लोग बेहद बेरोजगार और अशिक्षित होते हैं, लेकिन धारावी स्लम के साथ यह बात बिल्कुल सच नहीं है. इतना बड़ा झुग्गी एरिया होने के बावजूद लोगों का यहां पढ़ाई पर बेहद जोर है, यह दुनिया का सबसे पढ़ा लिखा स्लम एरिया माना जाता है. अगर बात की जाए इसकी साक्षरता दर की तो इस एरिया की साक्षरता दर लगभग 70% जो कि एक झुग्गी एरिया के हिसाब से बहुत ज्यादा है.

बीते कुछ सालों पहले यहां की 12 से 14 साल की कुछ लड़कियों ने तीन मोबाइल फोन एप्लीकेशन बनाकर लोगों को हैरत में डाल दिया था – इन्होंने पढ़ाई है मेरा हक, वुमन फाइट्स बैक और पानी है जीवन नाम की तीन बढ़िया एप्लीकेशंस बनाई थी. जिसमें पहले में इंग्लिश, गणित और विज्ञान के कुछ बेसिक क्लासेस दी जाती थी, दूसरे में महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशेष जानकारियां दी गई थी. जबकि तीसरा पानी की समस्या के समाधान के लिए बनाया गया था, वह लोग अक्सर पानी के लिए लड़ते रहते थे जिसमें बाद में इस एप्लीकेशन के जरिए पानी आने के वक्त लोगों को सूचना मिल जाती थी जिसके बाद कई लोगों का काम आसान हो गया.‌

15‌ हजार से ज्यादा कारखाने–
आपको यह बात जानकर हैरानी होगी अकेले धारावी में 15,000 से ज्यादा कारखाने मौजूद है, ‌ इनमें से ज्यादातर एक कमरे में चलने वाले हैं.‌ यह कपड़े, मिट्टी के बर्तन और चमड़े के 500 से ज्यादा कारखाने मौजूद हैं. भारत में सबसे ज्यादा प्लास्टिक रीसायकल का काम धारावी में ही होता है, जो यहां के लगभग 200000 लोगों को रोजगार देता है. यहां रहने वाले लोगों की औसत आय लगभग 10 से 12 हजार रुपए है, ‌ जो कि भारत की न्यूनतम आय से काफी ज्यादा है.


धारावी में “धारावी रॉक्स” नाम का एक बैंड भी मौजूद है, जिसमें 12 से 15 लड़के काम कर रहे हैं. इस बैंड की मुख्य विशेषता यह है कि यह कोई संगीत उपकरण का प्रयोग ना करते हुए संगीत के लिए प्लास्टिक के डिब्बे, स्टिक्स, कांच की बोतलें और धातु की स्टिक्स काम ‌मे‌ लाते हैं. जो कि एक बेहतर कला का प्रदर्शन है इसके साथ हमें यह भी सिखाते हैं की कला संसाधनों की मोहताज नहीं होती.

कई विदेशी लोग सिर्फ धारावी घूमने भी आते हैं–
आपको यह बात सुनकर आश्चर्य होगा लेकिन यह बिल्कुल सच है कि कई विदेशी लोग भारत सिर्फ धारावी घूमने आते हैं, क्योंकि वह लोगों की समस्याओं को नजदीक से देखना चाहते हैं. आपको यहां कई लोग किराए पर ऐसे मिल जाएंगे जो आपको धारावी के लोगों की जीवन की समस्याएं निकट से देखने में बेहद मदद करेंगे.

केवल इतना ही नहीं धारावी का बॉलीवुड में भी विशेष योगदान रहा है– बॉलीवुड में काम करने वाले जूनियर कलाकार बड़ी संख्या में धारावी से आते हैं. इसके अलावा यहां कई हिट फिल्मों की शूटिंग हुई है. ऑस्कर विजेता “स्लम डॉग मिलेनियर” भी ‌इसमे‌ शामिल है.‌ इसके अलावा दीवार, परिंदा, सलाम मुंबई, भूतनाथ रिटर्न्स और गली ब्वॉय जैसी फिल्मों शूटिंग भी यही हुई है.

इनके अलावा धारावी भारतीय अर्थव्यवस्था में भी एक महत्वपूर्ण योगदान अदा करता है मात्र अकेले धारावी वार्षिक 650 मिलियन डॉलर का अर्थव्यवस्था में योगदान देता है, जोकि कई देशों की वार्षिक आय से भी ज्यादा है. धारावी कई लोगों के संघर्ष की बेहतर कहानी है यह दिखाता है कि कितने कम संसाधनों में भी लोग किसी से कम नहीं है वे सब कुछ कर सकते हैं.