चाहे रेलवे स्टेशन हो या बाजार हर जगह भी’ख मांग कर अपना गुजारा करने वाले लोग हमें दिख ही जाते हैं. अगर हम किसी ऑटो रिक्शा या गाड़ी में बैठे हैं और वह गाड़ी चंद सेकेंड के लिए रेड लाइट पर खड़ी है तो वहां भी’ख मांगने वालों का तांता लग जाता है.
यह बात काफी चिंताजनक है कि बड़ी संख्या में लोगों का जीवन स्तर गिर चुका है और लोग भी’ख मांगकर पेट भरने के लिए मजबूर है. जब कोई हमसे पैसे मांगता है तो कुछ लोग तो उन्हें दरियादिली दिखा कर चंद रुपए दे देते हैं जिससे उनका गुजारा चल जाता है. वहीं कुछ लोग अपनी जेब टटोलते हैं और बाद में कहते हैं कि उनके पास छुट्टे पैसे नहीं है इसलिए वह पैसे नहीं दे सकते.
छूट्टे पैसों का हवाला देने के कारण बहुत से लोग कुछ भी देने से बच जाते हैं. इसमें दिक्कत का सामना कर रहा था बिहार के बेतिया रेलवे स्टेशन पर भी’ख मांगने वाला राजू प्रसाद. जिसे कई बार लोगों के मुंह से यह सुनना पड़ता था कि उनके पास खुल्ले पैसे नहीं है.
इससे दिक्कत का निवारण करने के लिए राजू प्रसाद ने डिजिटल भि’खारी बनने का फैसला कर लिया. उसने सबसे पहले बैंक जाकर अपना एक खाता खुलवाया और उस खाते को किसी नंबर से लिंक भी करवा दिया.
अब वह जब भी भी’ख मांगने निकलता है तो वह अपने साथ QR कोड लेकर चलता है. रिपोर्ट के अनुसार अब राजू लोगों से छुट्टे पैसे नहीं लेता है बल्कि वह सबसे फोन-पे पर QR कोड स्कैन करके भी’ख के पैसे देने का अनुरोध करता है.
जानकारी के अनुसार राजू मानसिक रूप से पूरी तरह से स्वस्थ नहीं है. अपने बि’गड़े हुए मानसिक संतुलन के कारण ही वह भी’ख मांग कर अपना पेट भरने को मजबूर है. वह बीते कई वर्षों से रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड से बाहर निकल रहे यात्रियों से मिलने वाली भी’ख के जरिए ही अपना गुजारा कर रहा है.