करणा भील : भारतीय डाकू जो पाकिस्तान जाकर डाके मारता था, एक लड़की के प्रेम में बन गया संगीतकार

राजस्थान की मरू भूमि में अनेक प्रकार की बातें छुपी हुई है. यह बातें अपने आप में इतनी खास है कि स्वयं अपना इतिहास बयां करती है. ऐसी एक कहानी है राजस्थान के जैसलमेर के रहने वाले करणा भील की. अगर बात करें करना भील की तो वह एक ऐसी शख्सियत था जो विख्यात और कुख्यात दोनों था.

क्यों विख्यात था डाकू करणा भील?

करणा भील एक ऐसा शख्स था जो हर समय 7 फीट से ज्यादा लंबी मूछें रखता था. उसके नाम दुनिया में दूसरी सबसे लंबी मूछें रखने का वर्ल्ड रिकॉर्ड था. केवल इतना ही नहीं करणा भील जैसलमेर के सोनार किले की शान था. क्योंकि वह अपने दौर का सबसे प्रसिद्ध नड़ वाद्यक था. अपने इस काम के लिए इतना प्रसिद्ध था कि हर प्रकार के अवसर के लिए नड़ केवल वही बजाता था.

एक संगीतकार के अलावा उसकी एक और छवि है वह है डाकू की. जी हां करणा भील एक कुख्यात डाकू था. वह भारत के जैसलमेर क्षेत्र में डाके मारा करता था लेकिन वह सबसे ज्यादा डाके पाकिस्तान में मारा करता था. यह बात है 70 और 80 के दशक की जब भारत-पाकिस्तान की सीमा पर तारबंदी और कोई विशिष्ट सुरक्षा नहीं थी. करणा डाकू से सीमा के दोनों ओर के लोग बेहद परेशान थे, उसका खौफ भी पूरे क्षेत्र में पसरा हुआ था.

आखिरकार भारत सरकार ने उसे सरेंडर करने का प्रस्ताव दिया. उसे कहा गया कि यदि वह सरेंडर करता है और डाके डालना बंद करता है तो उसे गिरफ्तार नहीं किया जाएगा. इस शर्त पर कि यदि वह शांतिप्रिय जीवन जीना पसंद करता है.

बताया जाता है कि कुछ समय बाद उसने डाके डालना बंद कर दिया लेकिन तब ही वह एक अफगानी युवती लाली के प्रेम में पागल हो गया. लाली को दिखाने के लिए उसने सबसे पहले नड़ बजाई थी जिसके बाद उसने हमेशा नड़ बजाना शुरू कर दिया.

करणा भील का अंतिम समय – करणा भील का जीवन जितना दिलचस्प रहा उतना ही उसका अंत. बताया जाता है कि 2 अक्टूबर 1988 को जब वह अपने ऊंटों को लेकर चारा ढूंढने निकला तब किले के पास ही कुछ लोगों ने उसकी गर्दन धड़ से अलग कर दी. केवल इतना ही नहीं वे लोग गर्दन अपने साथ ले गए.

बिना गर्दन वाले शरीर का अंतिम संस्कार करने से करणा डाकू के परिजनों ने इंकार कर दिया. जिसके बाद कुल 29 सालों तक उसके गर्दन की खोजबीन जारी रही लेकिन उसका पता नहीं लगाया जा सका. उस समय हिंदू रीति-रिवाजों से उसका अंतिम संस्कार नहीं किया जा सका क्योंकि उसका शरीर अधूरा था. जिस वजह से उसकी कब्र खोदी गई और सोनार किले के पास ही उसकी कब्र बना दी गई.