एक शिक्षक छात्र के जीवन की ज्योति होता है, बड़ी प्रसिद्ध कहावत है कि एक बढ़िया शिक्षक लाखों का जीवन सुधार सकता है. लेकिन अफसोस कि आजकल के जमाने में शिक्षक पढ़ाई पर ध्यान कम देते हैं और पैसे कमाने में ही व्यस्त रहते हैं.
शिक्षक और छात्र दोनों के लिए ही पढ़ाई के मायने बदल चुके हैं. लेकिन मध्यप्रदेश के इस शिक्षक ने जो कमाल कर दिखाया है वह इतना अनूठा है कि इसमें एक बार फिर शिक्षक कि उसी अपनी पुरानी छवि को सच कर दिखाया है.
हम बात करने जा रहे हैं मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में रहने वाले शिक्षक विजय कुमार चंसोरिया की. विजय कुमार पन्ना जिले के खंदिया में एक प्राइमरी स्कूल में पिछले 39 सालों से शिक्षक है.
अब बीती 31 जनवरी को उनका रिटायरमेंट का फंक्शन संपन्न हुआ और उन्होंने अपने कार्यकाल से रिटायरमेंट लिया. रिटायरमेंट के दौरान उन्हें नियमानुसार प्रोविडेंट फंड और ग्रेच्युटी के तौर पर 40 लाख रुपए मिले.
इन पैसों से लाभ लेने के बजाय विजय कुमार ने यह पैसे गरीब बच्चों के लिए दान कर दिए. विजय कुमार ने कहा कि मैं गरीब बच्चों के दुख को समझ सकता हूं क्योंकि मैंने उन्हें करीब से देखा है. मैं दुनिया भर में सभी की समस्याएं खत्म नहीं कर सकता लेकिन मैं यथासंभव प्रयास जरूर कर सकता हूं. उन्होंने कहा कि आज मेरे अपने बच्चे सफल है और मुझे इन पैसों की जरूरत उतनी नहीं है जितनी की गरीब बच्चों को है.
विजय कुमार ने कहा कि 1983 में उन्होंने शिक्षक के तौर पर काम शुरू किया था इससे पहले उन्होंने अपने जीवन में खूब संघर्ष किया था. उन्होंने अपना गुजारा रिक्शा चलाकर और दूध बेचकर किया था.
विजय कुमार का कहना है कि उन्होंने यह फैसला अपने परिवार की रजामंदी से किया है और उन्हें किसी प्रकार की समस्या नहीं है. आजकल की स्वार्थी दुनिया में विजय कुमार चंसोरिया का यह कदम काफी ज्यादा सराहनीय है और हर कोई उन्हें दिल से सलाम करता है.