हारने के लिए चुनाव लड़ता है यह श’ख्स, इस बार 94वें बार लड़ने वाला है चुनाव, लक्ष्य 100 बार चुनाव हार

चुनाव में टिकट पाकर मेहनत करके जीतना तो हर किसी का लक्ष्य होता है लेकिन हमारे बीच एक ऐसा प्रतिभागी भी है जो चुनाव जीतने के लिए लड़ता ही नहीं है. इसी वजह से यह शख्स इन दिनों काफी सुर्खियां बटोर रहा है.

इनका नाम है हसून राम अंबेडकरी जो उत्तर प्रदेश के आगरा के रहने वाले हैं. हसून राम ने अब तक कई विधानसभा, लोकसभा और पंचायती राज समेत तमाम चुनाव लड़े हैं और उन्होंने हार हासिल की है. वास्तव में हसून राम का लक्ष्य ही हार हासिल करना है.

हसून राम मनरेगा खेत में मजदूरी करते हैं और उनके पास मनरेगा जॉब कार्ड भी है. वह काफी मेहनत ही किस्म के व्यक्ति हैं और कभी स्कूल नहीं गए हैं लेकिन उनके पास अनुभव बेशुमार है. कभी स्कूल नहीं जाने के बावजूद भी हसून राम अंग्रेजी, हिंदी समेत उर्दू लिखना और पढ़ना जानते हैं.

हसून राम बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर से काफी प्रभावित है और उन्हीं की विचारधारा का अनुसरण करते हैं. हसून राम का कहना है कि जीते हुए प्रत्याशी कभी जनता की परेशानियों पर ध्यान नहीं देते हैं इसलिए उन्होंने हार का लक्ष्य तय किया है. वह 100 बार हारने का रिकॉर्ड बनाना चाहते हैं.

इस बार एक बार फिर हसून राम उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने अब तक 93 चुनाव लड़ रखे हैं और यह उनका 94 चुनाव होगा. अब तक के सभी चुनाव में उन्हें सबसे ज्यादा वोट 1989 के लोकसभा चुनाव में फिरोजाबाद की सीट से मिले थे जहां उन्हें 36000 समर्थन वोट प्राप्त हुए थे.

एक दिलचस्प बात यह है कि हसून राम ने राष्ट्रपति पद के लिए भी चुनाव लड़ा है. इंडिया डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार हसून राम ने 1988 में राष्ट्रपति पद के लिए आवेदन दिया था, जो कि खारिज हो गया था.

कुछ समय तक हसून राम बीएसपी से भी जुड़े रहे लेकिन रिपोर्ट के अनुसार बाद में जब उन्होंने पार्टी से टिकट मांगा तो उनका मजाक उड़ाया गया जिसके बात से उन्हें ठेस पहुंची और वह निर्दलीय ही चुनाव लड़ते हैं.