कोरोना से प्रभावित हुई शिक्षा तो टीचर ने लगा दी बैलगाड़ी पर ही लाइब्रेरी, पढ़ाती है गाँव के बच्चों को

कोरोनावायरस के फैलने की वजह से सबसे ज्यादा शिक्षा प्रभावित हुई है. वायरस की छोटी-मोटी अपडेट आते ही सरकार सबसे पहले स्कूल बंद करने को ही दौड़ती है. इस वजह से विद्यार्थियों के जीवन में गहरा बदलाव हुआ है और कहीं ना कहीं उनके पढ़ने की आदत भी छूट गई है.

मिलजुल कर कक्षा में पढ़ने के बजाय लगभग सभी विद्यार्थी अब कमरे में बंद होकर फोन की स्क्रीन पर पढ़ने को मजबूर है. यह निश्चित रूप से विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालेगा.

शिक्षक भी ऐसी स्थिति में करे तो क्या करें? इस बात का जवाब दिया है मध्य प्रदेश की एक शिक्षिका ने. दरअसल कोरोना से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होने से चिंतित शिक्षिका ने काफी सराहनीय कदम उठाया है. बताया जा रहा है कि यह शिक्षिका मध्यप्रदेश के बैतूल के रहने वाली है जिनका नाम कमला दवंडे है.

कमला जिस स्कूल में पढ़ाती है वहां केवल दो ही टीचर है. लेकिन कोरोना काल में दूसरे टीचर को भी कोरोना हो गया जिससे उनका स्वास्थ्य खराब हो गया. टीचर कमला बेतूल के रामजी ढाना गांव में पढ़ाती है, यहां की स्कूल में कुल 87 बच्चे हैं. अब कोरोना के प्रभाव से स्कूल भी बंद और यहां इन बच्चों का भविष्य भी दांव पर.

इस वजह से टीचर कमला ने ₹50 प्रतिदिन के हिसाब से बैल गाड़ी किराए पर ली और घर-घर जाकर किताबें बांटना शुरू कर दिया. टीचर की यह पहल देखकर गांव के बच्चे उनके पीछे भागने लगे और दौड़ दौड़ कर किताबें लेने लगे.

पहले योजना कुछ ही दिन के लिए बनाई गई थी लेकिन बच्चों की दिलचस्पी देखकर इसे हमेशा के लिए कर दिया गया. टीचर कमला स्कूल से मिलने वाली सभी किताबों को घर-घर जाकर बच्चों में वितरित करती है.

केवल इतना ही नहीं वह घर-घर जाकर बच्चों को पढ़ाती है, यानी मोहल्ला क्लास का आयोजन करती है. वह गांव के किसी एक घर में सभी बच्चों को इकट्ठा कर लेती है. जिस घर में क्लास का आयोजन होना होता है वहां पहले ही थाली और चम्मच बजाया जाता है ताकि सभी को पता लग जाए. टीचर कमला का यह कदम बेहद सराहनीय है और सभी के लिए प्रेरणादाई है.