नुक्कड़ कैफे : एक ऐसा कैफे जहां हर कर्मचारी है गूंगा-बहरा, इसमें सिर्फ स्पेशल लोगों को ही मिलता है रोजगार

शारीरिक रूप से विकलांग लोगों को समाज में प्रत्येक क्षण बेइज्जती का सामना करना पड़ता है. जिन लोगों की शारीरिक बनावट में किसी प्रकार की दिक्कत आ गई है उन्हें उनके मां-बाप भी बोझ समझने लगते हैं, इसके अलावा समाज का कोई भी वर्ग उन्हें सामान्य नागरिक की तरह स्वीकार ने के लिए तैयार नहीं होता है.

समाज में ऐसे बहुत कम लोग हैं जो दिव्यांग जनों के विकास के लिए कार्यक्रम आयोजित करने या उनके लिए किसी प्रकार का रोजगार उपलब्ध करवाने का प्रयास करते हैं. लेकिन रायपुर में एक ऐसा कैसे है जहां सिर्फ उन्हीं लोगों को रोजगार दिया जाता है जो गूंगे या बहरे हो, इसके अलावा भी यहां शारीरिक विकलांगता वाले लोगों को रोजगार मुहैया करवाया जाता है यहां तक कि ट्रांसजेंडर यानी कि किन्नर समुदाय को भी यहां रोजगार उपलब्ध है.

रायपुर का यह नुक्कड़ कैफे एकमात्र ऐसा कैसे है जहां का स्टाफ बोल या सुन नहीं सकता बल्कि यहां पर केवल इशारों से आर्डर दिया जाता है. यहां का स्टाफ इतना बेहतर प्रशिक्षित है कि वह अपने ग्राहकों की जरूरतों को बेहतरीन तरीके से समाज उसे आसानी से पूरा करता है. इसी वजह से यहां ग्राहकों को कोई परेशानी नहीं होती है.

इस कैफे की स्थापना 2013 में इंजीनियर प्रियंक पटेल ने अपनी नौकरी छोड़कर की थी, वर्तमान में इसके कुल 4 मालिक है और अब नुक्कड़ कैफे की जड़ें मजबूत हो चुकी है. क्योंकि इसकी स्थापना अब अन्य कई स्थानों पर भी की जा चुकी है. लोगों को इस कैफे का यह नया कांसेप्ट खूब पसंद आया था और इसी वजह से आज तक नुक्कड़ कैफे ट्रेंडिंग में है.

इस कैफे को बारीकी से बनाया गया है और यहां महान विचारकों की कविताएं और पूरे शहर की पेंटिंग्स भी लगाई गई है. इसके अलावा यहां एंकात पुस्तकालय भी है.‌ प्रियंक पटेल को हाल ही में दिव्यांगजन सशक्तिकरण क्षेत्र में राष्ट्रपति पुरस्कार से भी नवाजा गया है, प्रियंक पटेल का कहना है कि उनका सौभाग्य है कि वह समाज के उन लोगों से जुड़ पाए जो समाज की मुख्यधारा से किसी प्रकार से वंचित हो गए थे.