जापान का रैबिट आईलैंड यानी खरगोशों का टापू बड़ा ही फेमस है. इस आईलैंड की खास बात यह है कि यहां इंसानों से कई ज्यादा खरगोश पाए जाते हैं. सच बात तो यह है कि यहां मूल रूप से केवल खरगोश ही रहते हैं बाकी इंसान तो कोई दो चार है.
इस आईलैंड का नाम है “ओकुनोशिमा” जो आने वाले कुछ ही समय में दुनिया का एक बड़ा ट्रैवलिंग स्पॉट बन सकता है. लेकिन इस टापू पर इन खरगोशों को बसाने के लिए नहीं लाया गया था. आइए जानते हैं क्या है इसके पीछे की कहानी?
बताया जाता है की इस रैबिट आईलैंड पर यह खरगोश द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान 1929 से 1945 के बीच में लाए गए थे. द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान ने अपनी बढ़-चढ़कर भूमिका निभाई थी जिस दौरान इस टापू पर जापानी सैनिकों ने गुप्त रूप से एक जहरीली गैस का परीक्षण किया था. बताया जाता है कि इसी 6 हजार टन गैस के परीक्षण के लिए यहां इन खरगोशों को लाया गया था. ताकि जांच की जा सके कि यह जहरीली गैस कितना काम करती है!
बताया जाता है कि उस परीक्षण के दौरान भारी संख्या में खरगोश खत्म हो गए थे. लेकिन बावजूद उसके कुछ संख्या में खरगोश यहां जिंदा बच गए थे जिसके बाद उन्होंने अपनी संख्या बढ़ा ली.
हालांकि जापान सरकार इस बात को नहीं मानती है उनका कहना है कि लाये गए खरगोशों को कारखानों के साथ ही नष्ट कर दिया गया था. इनके अलावा ऐसा भी कहा जाता है कि 1971 में कुछ स्कूली बच्चे अपने साथ इस टापू पर 8 खरगोश लेकर आए थे जिसके बाद वह खरगोश यहीं रह गए.
खरगोशों की अधिकता के कारण इस टापू पर कुत्ते और बिल्ली लेकर जाना वर्जित है. शायद कुत्ते और बिल्लियों से दूरी के कारण ही यह खरगोश आयलैंड बन पाया. अब यह एक बड़ा टूरिस्ट प्लेस बन चुका है और यहां पर कई रेस्टोरेंट्स और होटल मौजूद है. इसके अलावा यहां एक संग्रहालय भी है. केवल इतना ही नहीं यहां खेलने के लिए गोल्फ कोर्स की व्यवस्था भी की गई है.