क्या कभी “चीन” भी था हिंदुस्तान का हिस्सा? क्या था चीन का पुराना नाम?

हम सभी जानते हैं कि भारत का स्वरूप हो सदियों पहले ऐसा नहीं था जैसा आज है. भारतवर्ष में वर्तमान के भारत के अलावा अन्य 15 देश और शामिल है, जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश, तिब्बत, इंडोनेशिया, बर्मा, अफगानिस्तान, भूटान, जावा और सुमात्रा जैसे देश शामिल है.

पौराणिक इतिहास में संपूर्ण भारतवर्ष को “जंबूद्वीप” कहा गया था. इस पर कुछ लोग प्रश्न उठाते हैं कि क्या चीन भी कभी अखंड भारत का हिस्सा था? इसका जवाब कर्नल जेम्स टॉड की किताब “राजस्थान का इतिहास” और पंडित रघुनंदन शर्मा की किताब “वैदिक संपत्ति” में बखूबी दिया गया है.

इसके अलावा हमारे धर्म शास्त्रों में भी बखूबी इस बात का वर्णन किया गया है कि वर्तमान का चीन भी भारत का हिस्सा था. लेकिन आपसी मतभेदों और सांस्कृतिक मतभेदों के कारण जंबूद्वीप का बंटवारा होता रहा और उससे अलग अलग देश निकल कर आए.

क्या है चीन का पौराणिक इतिहास ?– पौराणिक इतिहास के अनुसार जंबूद्वीप के कुल 9 राज्य थे एवं कई अलग-अलग क्षेत्र थे. इन सभी क्षेत्रों में से हरिवर्ष, भद्राश्व और किंपुरुष का भौगोलिक वर्णन उसी प्रकार से किया गया है जहां आज का तिब्बत, नेपाल और चीन क्षेत्र है.

यानी चीन भारतवर्ष के हरिवर्ष, भद्राश्व और किंपुरुष का हिस्सा था. जानकारी के अनुसार महाभारत काल तक चीन भारत का ही हिस्सा था.

लेकिन 500 से 700 ईसा पूर्व के वर्णित ग्रंथों में इसमें “महाचीन” कहकर पुकारा गया है, यानी लगभग 500 से 700 ईसा पूर्व चीन भारत से अलग हो गया था. महान् अर्थशास्त्री कौटिल्य ने भी अपने ग्रंथों के द्वारा इसकी जानकारी दी है.

1934 में खुदाई के दौरान चीन में प्राचीन हिंदू मंदिरों की एक पूरी श्रंखला निकली थी, जिसके बाद अन्य कई स्थानों पर यहां प्राचीन में हिंदू मंदिरों के खंडहर पाए गए थे.

यह मंदिर लगभग 2000 साल पुराने हैं. लेकिन वर्तमान में चीन में एक भी हिंदू मंदिर नवनिर्मित नहीं है. चीन में मुख्य रूप से बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग निवास करते हैं.

इसलिए ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है कि चीन था तो भारत का ही हिस्सा लेकिन समय काल में यहां बखूबी बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार हुआ इसलिए लोगों ने बौद्ध धर्म अपना लिया, तब यहां हिंदू संस्कृति गौण हो गई.