3000 कमरों वाली इस आलीशान होटल में आज तक नहीं गया एक भी ग्राहक

जब ऊंची सुंदर इमारतों की बात की जाती है तो दुबई की आलीशान गगनचुंबी होटलें हमारे दिमाग में आ जाती है. लेकिन मित्रों दुनिया में एक ऐसी जगह भी है जहां दुबई की होटलों से भी कई गुना सुंदर होटल मौजूद है. लेकिन सबसे जरूरी बात जो इस इमारत को दुनिया की बाकी सभी इमारतों से अलग करती है वह यह कि इसमें आज तक एक भी ग्राहक नहीं गया है.

हम बात करने जा रहे हैं बेहद सुंदर त्रिभुजाकार पिरामिड आकार की 1080 फीट ऊंची और 39 लाख फीट स्क्वायर में फैली हुई 5500 करोड़ लागत वाली 105 मंजिला होटल जिसमें 3000 हैं. इस भव्य इमारत का नाम है होटल Ryugyong. जो पिछले 30 सालों से वीरान पड़ी है. दिखने में बेहद सुंदर इस खाली होटल में रात को नाइट शो होते हैं और इसकी स्क्रीन पर बिल्कुल बुर्ज खलीफा जैसी ही तस्वीरें दिखाई जाती है. यह आलीशान होटल नॉर्थ कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में स्थित है.

क्या है बंद रहने का कारण?

नॉर्थ कोरिया का नाम सुनकर आपको यह समझ तो आ ही गया होगा कि इस होटल के डूबने का कारण क्या हो सकता है! सबसे बड़ी दिक्कत है यहां के सरकार की नीतियां. जैसा कि हम सभी जानते हैं 1948 से इस देश को एक ही परिवार चला रहा है और यह परिवार पूरी तरह से नॉर्थ कोरिया पर अपनी मनमर्जी ठोकता है.

हालांकि नॉर्थ कोरिया में प्रतिवर्ष 300000 विजिटर्स आते हैं लेकिन फिर भी इस होटल में जाने के लिए किसी को भी दिलचस्पी नहीं है. दरअसल इस होटल का निर्माण भी प्रतिस्पर्धा के लिए ही किया गया था. यह बात है 1988 की जब नॉर्थ कोरिया का पड़ोसी देश साउथ कोरिया अपने देश में ओलंपिक का आयोजन करवा रहा था और उसी वर्ष उसने दुनिया की एक ऊंची इमारत का उद्घाटन किया था.

अपने पड़ोसी देश को टक्कर देने के लिए नॉर्थ कोरिया की सरकार ने भी एक ऊंची इमारत बनाने का फैसला किया. जिसके बाद 1989 को यहां पर साउथ कोरिया के जैसा ही एक फेस्टिवल आयोजित किया गया और उसमें 22000 प्रतिभागियों को बुलाया गया. इसके अलावा ही यहां पर एक ऊंची इमारत बनाने का फैसला किया गया.

नॉर्थ कोरिया की सरकार का कहना था कि 2 से 3 वर्ष में इस इमारत का निर्माण पूरा हो जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि 1986 में यूएसए और सोवियत यूनियन के शीत युद्ध में सोवियत यूनियन का समर्थन करने वाले नॉर्थ कोरिया की अर्थव्यवस्था डूब गई. ऐसा इसलिए क्योंकि सोवियत यूनियन युद्ध हार गया और 1992 में यह अलग हो गया.

जिसके बाद 1988 में शुरू इस इमारत का 2012 में निर्माण कार्य पूरा हुआ. बीच में कई बार पैसों की तंगी के चलते इस इमारत को गिराने का फैसला भी किया गया लेकिन नॉर्थ कोरिया ने अपनी ग्लोबल इज्जत बचाने के लिए कैसे भी करके मोटे पैसे लगाकर इसका निर्माण पूरा करवाया!