स्कूली बच्चे हो या कामकाजी महिलाएं और पुरुष सभी को संडे का इतनी बेसब्री से इंतजार होता है कि वह सप्ताह के 6 दिन तो इस इंतजार में गुजार देते हैं कि आखिर अंत में रविवार आएगा और हम जी भर के आराम करेंगे.
लेकिन अगर हम सोचे तो एक प्रश्न हमारे दिमाग में अवश्य आएगा कि आखिर संडे को ही छुट्टी क्यों मनाई जाती है?
जानिए कारण :– रविवार की छुट्टी करने की प्रथा केवल इसलिए डाली गई थी क्योंकि लोग लगातार काम नहीं कर सकते इसलिए सप्ताह में कम से कम 1 दिन ऐसा होना चाहिए जब लोगों को आराम करने को मिले.
सन् 1843 में एडवर्ड ला ने सर्वप्रथम यह नियम पारित किया था कि अधिकारी वर्ग रविवार यानी कि संडे की छुट्टी रख सकता है. जिसके बाद अधिकारी वर्ग के रविवार की छुट्टी की प्रथा पड़ गई थी.
यानी कि रविवार की छुट्टी की प्रथम मूल रूप से इंग्लैंड वासियों ने शुरू की थी. जिसके बाद 1986 में ब्रिटिश सरकार ने यह नियम पारित कर दिया था कि अब अधिकारी वर्ग के अलावा स्कूली बच्चे भी रविवार की छुट्टी रखेंगे.
1986 से पहले स्कूली बच्चों के लिए रविवार की छुट्टी का प्रावधान नहीं था. रविवार की छुट्टी देने का प्रमुख कारण सिर्फ यही है कि 1 दिन के आराम से स्कूली बच्चों में रचनात्मकता का विकास होगा जबकि अधिकारी वर्ग आराम कर सकेंगे.
लगातार काम करने से उनका दिमाग और मन अशांत हो सकता है. अगर बात की जाए भारत की तो भारत में पहले रविवार की छुट्टी का कोई प्रावधान नहीं था. यह ब्रिटिश सरकार मजदूरों से दिन-रात काम करवाती थी और एक दिन की भी छुट्टी नहीं देती थी.
उनकी दयनीय स्थिति से जलजल होकर सर्वप्रथम “श्री नारायण मेघाजी लोखंडे” ने ब्रिटिश सरकार के सामने यह प्रस्ताव रखा कि मजदूर वर्ग के लिए भी रविवार की छुट्टी होनी चाहिए.
7 वर्ष के कड़े संघर्ष के बाद आखिरकार 1890 को ब्रिटिश सरकार ने यह नियम पारित किया कि भारतीय मजदूर वर्ग के लिए भी रविवार की छुट्टी का प्रावधान होगा. जिसके बाद इस नियम को भारतीय अधिकारी वर्ग एवं स्कूली बच्चों के लिए भी मान्य कर दिया गया.