महिलाएं आटा गूंथने के बाद उस पर अंगुलियों के निशान क्यों बनाती है? सोशल मीडिया पर हर जगह घूम रहा ये सवाल

हम कई बार देखते हैं कि महिलाएं जैसे ही आता पूरा गूंथ लेती है तो अंत में उस पर अपनी अंगुलियों से निशान बना देती है. महिलाएं ऐसा क्यों करती है? क्या वे इसलिए ऐसा करती है कि वे अपने हाथों पर लगे अतिरिक्त आटे को भी उस आटे में चिपका दें? यदि आप भी ऐसा सोचते हैं तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसके पीछे तो राज कुछ और ही है.

वास्तव में इसका कारण हमारे भारतीय समाज की एक बहुत ही पौराणिक मान्यता से जुड़ा हुआ है. हम सभी जानते ही होंगे कि हमारे भारतीय समाज में हमारे पूर्वजों को “पिंडदान” की प्रथा रही है. पिंडदान वह जिससे हमारे किसी अपने की मृत्यु के पश्चात हम गोल आटे की लोई को विधिवत पूजा के साथ उस पूर्वज को हम समर्पित करते हैं.

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इसलिए कहा जा सकता है कि गोल किया हुआ आटा हम अपने पूर्वजों को पिंडदान के लिए अर्पित करते हैं. जब महिलाएं आटा गूंथ के बिल्कुल उसको तैयार कर लेती है तो अंत में उस गोले को बिखेरते हुए उसमें अंगुलियों के निशान बना देती है.

यह प्रक्रिया इस बात की पुष्टि करती है कि यह गूंथा हुआ आटा पूर्वजों के पिंडदान के लिए नहीं है अपितु यह परिवार जनों के खाने के लिए है. पुराने जमाने में परिवार बड़े होते थे, एक ही परिवार में कई लोग निवास करते थे. इसलिए घरों के सारे काम भी महिलाएं आपस में बांटकर करती थी.

इसलिए आवश्यक नहीं होता था कि जिस महिला ने आटा गूंथा है वही रोटी बनाएगी. जो महिला आटा गूंथ ती ‌ थी वह पहले एक छोटी सी लोई पूर्वजों के लिए एक गाय के लिए और एक कुत्ते के लिए निकाल देती थी. उसके बाद बचे हुए आटे में अंगुलियों के निशान बना देती थी.

वह ऐसा इसलिए करती थी ताकि जो महिला अब रोटी बनाएगी उसको यह पता लग जाए की सभी के लिए आटा निकाल दिया है, और यह जो आटा बचा के रखा है इससे केवल घर के सदस्यों के लिए ही रोटी बनानी है ताकि वह दोबारा गाय, कुत्ते और पूर्वजों के लिए आटा निकाल कर ना रख दें.

कुछ लोग इस पर करेंगे कि यह केवल मिथ्या है परंतु यह हमारे समाज की सद्भावना है, लोगों का आपसी सौहार्द्र ऐसा है कि वह भोजन भी अकेले नहीं करते. अपितु अपने आसपास के जानवरों और अपने पूर्वजों की जरूरतो का भी ध्यान रखते हैं.

खाना बनाने से पहले अपने पूर्वजों को याद करने से उनकी आत्मा को सुख शांति प्राप्त होती है कि उनका परिवार आज भी उनके लिए चिंतित हैं. मान्यता है कि अपने पूर्वजों के लिए श्रद्धा भाव से वह हमारे परिवार और आगामी परिवार को खूब आशीर्वाद देते हैं.