आजकल चाय और कॉफी तो हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुकी है, हम में से ज्यादातर लोगों की तो चाय और कॉफी के बिना सुबह ही नहीं होती. आज विश्व में पानी के बाद चाय दूसरा सबसे ज्यादा पाया जाने वाला पदार्थ बन चुकी है, इसके साथ ही कॉफी तीसरे नंबर पर है. भारत में भी कुछ ऐसे ही हाल है सुबह उठते ही हमें सबसे पहले चाय बनाने की ही सूजती है.
हम सभी जानते हैं कि चाय पीने का प्रचलन भारतीय परंपरा में नहीं रहा है लेकिन लगभग 100 सालों से यह लगातार भारतीय हिस्सा बन चुकी है. भारत में कॉफी सबसे पहले 1670 ईस्वी में कुछ सूफी संतों द्वारा लाई गई थी इसके अलावा कॉफी सबसे पहले 1836 में अंग्रेजों द्वारा ही भारत में लाई गई थी.
लेकिन अगर बात की जाए इन के नुकसान और फायदे के बारे में तो कई लोगों के अलग-अलग मत है, कई लोग ऐसे हैं जिनके लिए चाय और कॉफी जिंदगी है तथा कई लोग ऐसे हैं जो चाय पीने पर बिल्कुल मना ही देते हैं. अगर मॉडर्न साइंस और आयुर्वेद की तुलना की जाए तो भी दोनों के मत कुछ अलग है.
1–मॉडर्न साइंस के अनुसार चाय और कॉफी दोनों ही पीना शरीर के लिए बिल्कुल सुरक्षित है, दोनों ही बेहतर एंटीऑक्सीडेंट है और शरीर में फैट सेल को भी कम करते हैं. विशेष रुप से कॉफी का उपयोग डिप्रेशन और कैंसर के इलाज में उपयोग में लाया जा सकता है. बशर्ते कि हम इन दोनों का ही अत्यधिक मात्रा में सेवन ना करें अर्थात यदि हम इनका सेवन कभी-कभी करें या दिन में एक दो बार करें तो यह शरीर के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है.
मॉडर्न साइंस के अनुसार यदि एक व्यक्ति एक दिन में चार कब से ज्यादा चाय पीता है या कॉफी लेता है तो उसके शरीर में आयरन की कमी हो सकती है जिसके कारण उसे एनीमिया की समस्या पैदा हो सकती है, सिर्फ इतना ही नहीं चाय कॉफी के ज्यादा सेवन से यह हमारे शरीर में कैल्शियम की कमी पैदा करता है जिसके कारण हमारी हड्डियां कमजोर हो सकती है और हमारे दांतो का रंग भी पीला हो सकता है.
इनके रोजाना सेवन से यह हल्के ड्र’ग की तरह कार्य करता है जिससे हम इसके आदी हो जाते हैं और फिर हमारा शरीर हमसे इसकी मांग करने लगता है अर्थात यदि हम फिर चाय या कॉफी ना ले तो सिर दर्द की समस्या हो जाती है. क्योंकि चाय और कॉफी दोनों में ही कैफ़ीन और टैनिन की बड़ी मात्रा पाई जाती है.
चाय में टैनिन की मात्रा ज्यादा होती है जबकि कॉफी में कैफीन की मात्रा अधिक होती है दोनों का ही अत्यधिक सेवन हमारे स्वास्थ्य की दृष्टि से बिल्कुल ठीक नहीं है. इनके नियमित अत्यधिक सेवन से हमारा तंत्रिका तंत्र इनसे प्रभावित होने लगता है जिसके हमारे स्वास्थ्य पर बुरे असर है.
आयुर्वेद के अनुसार–
जैसा कि पहले ही बताया गया है चाय और कॉफी का सेवन भारतीय परंपरा में नहीं रहा है इसलिए आयुर्वेद दोनों की ही सख्त मनाही करता है. आयुर्वेद में एक सिद्धांत है की व्यक्ति जहां रहता है उसे उसके आसपास के 100 किलोमीटर एरिया से बाहर उगाई जाने वाली चीज नहीं लेनी चाहिए.क्योंकि हमारा शरीर हमारे क्षेत्र विशेष की जलवायु के अनुसार है तथा फसलें भी अलग-अलग जगहों की जलवायु के अनुसार ही पैदा होती है इसलिए यह ठीक नहीं है.
हम सब जानते हैं कि चाय हम में से ज्यादातर लोगों के राज्य में पैदा नहीं होती है, इसलिए आयुर्वेद के अनुसार इसकी सख्त मनाही है. जहां चाय उठती है क्षेत्र विशेष के लोग यदि इसका सेवन करें तो उनके लिए कम नुकसानदेह है बजाय कि वह लोग सेवन करें जिनके आसपास कहीं भी चाय नहीं होती है.
आयुर्वेद में कहा गया है की चाय और कॉफी दोनों ही हमारे शरीर से पानी की मात्रा घटाते हैं और हमारे शरीर में ऊष्मा पैदा करते हैं. इनके नियमित सेवन से अम्लता की समस्या बढ़ती है जिसके कारण हमारा पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है. ऐसे लोग जिन को सर्दी जुकाम की समस्या है या उनके शरीर में ठंड की समस्या ज्यादा है तो वह चाय और कॉफी का इस्तेमाल कर सकते हैं यह उनके लिए औषधि की तरह काम करेगा, अर्थात आयुर्वेद इसे केवल कफ में ही प्रयोग लाने की अनुमति देता है. आयुर्वेद के अनुसार दोनों के ही स्थान पर अर्जुन छाल का इस्तेमाल किया जा सकता है यह भी चाय की तरह के स्वाद का ही एक पेय है तथा अत्यधिक स्वास्थ्य वर्धक है.
कब और कैसे करना चाहिए प्रयोग?–
यदि बात की जाए चाय और कॉफी के सेवन की तो किसी भी सामान्य व्यक्ति को एक दिन में तीन या चार कब से ज्यादा चाय और कॉफी का सेवन नहीं करना चाहिए. चाय और कॉफी दोनों का ही कभी भूखे पेट सेवन नहीं करना चाहिए यह हमारे शरीर में अम्लता बढ़ाता है. इसके अलावा शाम के 5:00 बजे के बाद दोनों का ही सेवन निषेध है क्योंकि इसे हमें नींद में समस्या पैदा हो सकती है.
हम सुबह नाश्ता और दोपहर को भोजन करने के आधे –आधे घंटे बाद चाय और कॉफी का सेवन कर सकते हैं यह हमारे लिए स्वास्थ्यवर्धक साबित होगा. इससे हमें ऊर्जावान भी महसूस होगा तथा साथ ही हमारे पाचन क्रिया पर भी कोई बुरा प्रभाव नहीं होगा.