300 साल से इस स्थान पर नहीं मनाई लोगों ने होली? पीछे की वजह जानकर रह जाएंगे है’रान!

होली और दिवाली दो ऐसे त्योहार है जिन का लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है. पूरे देश में इन त्योहारों का अच्छा खासा जोश बना रहता है. अगर बात करें विशेष रूप से होली की तो होली हर किसी का फेवरेट त्योहार है.

अपने दोस्तों और परिवार जनों को रंगों में रंगकर लोग एक दूसरे से स्नेह मिलन बनाने का प्रयास करते हैं और यह प्रकार से सामाजिक एकता का प्रतीक भी है.भारत देश में ही क्यों कई विदेशी भी होली का त्यौहार मनाते हुए नजर आते हैं. होली के त्योहार के दिन प्रत्येक भारतीय परिवार में विशेष उत्सुकता बनी रहती है.

हालांकि एक रिवाज जो हमारे समाज में माना जाता है वह यह है कि यदि किसी त्योहार से कुछ समय पहले ही किसी परिवार जन की मृत्यु हो जाए तो आने वाले वह त्योहार नहीं मनाया जाता. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे स्थान के बारे में बताने जा रहे हैं जहां होली को मनाना एक अपशकुन माना जाता है.

जानकारी के मुताबिक इस स्थान के निवासी लगभग 300 वर्षों से इस त्यौहार को नहीं मना रहे हैं. इसके पीछे की वजह भी काफी अ’जीब है लेकिन लोग उसका अनुसरण करते हैं.जानकारी के मुताबिक यह गांव झारखंड के रामगढ़ क्षेत्र में स्थित है.

बताया जाता है कि यहां लगभग 1724 के दरमियान होली से एक दिन पहले रामगढ़ के राजा दलेल सिंह के सेनापति पश्चिम बंगाल के जालदा क्षेत्र से वहां की रानी के लिए साज सजावट साड़ी और जेवर समेत अन्य सामग्री खरीद कर दुर्गापुर पश्चिम बंगाल के रास्ते से गुजर रहे थे.

उस वक्त दुर्गापुर के राजा दुर्गा प्रसाद थे. अपने राज्य से अनजान लोगों को इतना सामान ले जाते देख वहां के राजा दुर्गा प्रसाद को कुछ अलग लगा. इसीलिए उन्होंने श’क के आधार पर राजा दलेल के सेनापति को बं’दी बना लिया.

इस बात की जानकारी जब रामगढ़ के राजा दलेल सिंह को लगी तो वह काफी शब्द हो गए. यह होली का दिन था और सभी लोग होली मनाने में व्यस्त थे. तभी राजा ने दुर्गापुर पर चढ़ाई करने का आह्वान कर दिया. बीच होली के त्योहार राजा दुर्गापुर की और यु’द्ध का बिगुल बजा चुके थे.

बताया जाता है कि इस युद्ध के दौरान घमासान नरसं’हार मच गया और दुर्गापुर के राजा की मौ’त हो गई. जनजीवन काफी ज्यादा अस्त हो गया और राजा की मौ’त की खबर सुनकर दुर्गापुर की रानी ने वहां की नदी में कूदकर जा’न दे दी. इसने चारों तरफ काफी ज्यादा विना’शकारी काम किया और होली का त्योहार ला’शों में तब्दील हो गया. बताया जाता है कि इसी घटना के बाद यहां के लोग होली को अपश’कुन लगे और उन्होंने होली मनाना ही बंद कर दिया.