क्यों खजूर खाकर ही खोला जाता है रोजा? क्या है इसके पीछे की वजह!

एक बार फिर रमजान का महीना आ गया है. इस दरमियान दुनिया भर में रमजान की शुरुआत होने वाली है और पूरे महीने इ’स्लाम धर्म को मानने वाले सभी लोग 30 दिनों का रोजा रखेंगे. बच्चों के लिए यह अनिवार्य नहीं है लेकिन अमूमन 80 फ़ीसदी लोग रोजा जरूर रखेंगे. जिसमें व्यक्ति सूर्योदय से सूर्यास्त तक कुछ भी नहीं खाते पीते.

गर्मियों में विशेषकर इसे निभाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. क्योंकि इस दरमियान रोजेदारों पानी भी नहीं पीते हैं. विशेष गर्मियों में पानी की आवश्यकता बढ़ जाती है ऐसे में इसे निभाना काफी मुश्किल हो जाता है. एक-दो दिन की बात हो तो फिर भी सहन कर लिया जाए लेकिन पूरे महीने इसे करना वाकई में एक बड़ा मुकाम है. लेकिन फिर भी इ’स्लाम धर्म के लोग पूरी खुशी से इस परंपरा का पालन करते हैं.

कैसे खोला जाता है रोजा !

पूरे दिन में कुछ भी ना खाकर सूर्यास्त के समय इ’फ्तारी खाकर रोजा खोला जाता है. इसमें कई तरह की चीजें खाई जाती है और परिवार अपनी पसंद के हिसाब से विभिन्न प्रकार के भोजन बनाते हैं. लेकिन अगर आपको पता हो तो इफ्तारी के समय खजूर जरूर शामिल किया जाता है.केवल इतना ही नहीं सर्वप्रथम खजूर ही खाया जाता है उसके पश्चात ही अन्य चीजें ली जाती है.

क्या है वजह ?

इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि इ’स्लाम धर्म के पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब का पसंदीदा फल खजूर था. इसके अलावा मूल रूप से इस्लाम धर्म का जहां से उठाव हुआ था वहां बहुतायत में खजूर हुआ करते हैं. ऐसे में खजूर खाना उनके लिए एक आम और सस्ता सौदा हो जाया करता था. लेकिन अब सभी मुस्लि’म इस परंपरा को निभाने लगे हैं क्योंकि वह हजरत मोहम्मद साहब की पसंद की पूरी कद्र करते हैं!

इसके पीछे का साइंस !

नैतिक कारणों के अलावा यदि हम साइंटिफिक कारणों की तरफ देखें तो भी रोजे में खजूर का खाना काफी लाभदायक माना जा सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि रोजेदार पूरे वक्त भूखे रहकर अचानक ही ढेर सारा भोजन ले लेते हैं ऐसे में उन्हें एसिडिटी की समस्या हो सकती है.

भूखे पेट भोजन लेने से डाइजेशन में आसानी रहती है और वह बाकी चीजों को आसानी से पचा पाता है. इसके अलावा खजूर खाने से शरीर को एकाएक राहत भी मिलती है और यह दूसरे दिन रोजे में एनर्जी भी देता है. क्योंकि इसमें कई प्रकार के आवश्यक विटामिंस और पोषक तत्व पाए जाते हैं.