भारत में वैसे तो किसी भी कैदी को आसानी से फांसी की सजा नहीं सुनाई जाती. कोशिश यही की जाती है की सजा हमारी मानवता को प्रभावित ना करें. लेकिन फिर भी समाज में असामाजिक तत्वों की कमी नहीं है.
और कई बार लोग बड़े से बड़ा जघन्य अपराध करने में भी नहीं चूकते हैं. हमारे सामने कई लोगों की हत्या, अपहरण, बलात्कार और लूटपाट के कई बड़े मामले अक्सर सामने आते हैं. जिनमें से विशेष जघन्य अपराधों के लिए फांसी की सजा मुकर्रर की जाती है.
हालांकि फांसी की सजा सुनाने के बाद भी भारत में कई विशेष नियम कायदे माने जाते हैं, जिन्हें किसी भी अपराधी को फांसी देने से पहले किया जाना आवश्यक है.
जो जज किसी अपराधी की फांसी लिखता है उसके लिए यह नियम है कि वह फांसी लिखते ही उस पेन की नोक तोड़ दे. क्योंकि जिस पेन से किसी व्यक्ति की जीवन लीला समाप्त करने का आदेश लिखा गया हो वह पेन दोबारा काम में ना लिया जाए तो ही अच्छा है.
इसके अलावा कैदी को उसके परिजनों से मुलाकात भी करवाई जाती है, उससे उसका पसंदीदा खाना भी परोसा जाता है. हालांकि फांसी से पहले किसी कैदी में इतनी हिम्मत नहीं होती कि वह चैन से बैठकर पसंदीदा खाना खा सके.
लेकिन फिर भी सरकार अपने नियम आधार करती है. फांसी से पहले व्यक्ति का स्वास्थ्य परीक्षण भी करवाया जाता है. यहां फांसी केवल सुबह के समय दी जाती है.
क्योंकि अन्य समय में फांसी देने से जेल के बाकी कार्य बाधित हो सकते हैं. इसके अलावा फांसी देते वक्त कैदी के पास जेल अधीक्षक, डॉक्टर, मजिस्ट्रेट और जल्लाद मौजूद होता है.
इनमें से यदि एक भी व्यक्ति अनुपस्थित हो तो फांसी नहीं होगी. इनमें से किसी को भी कैदी से बात करने की अनुमति नहीं होती सिवाय की जल्लाद के! जल्लाद कैदी को फांसी देने से पहले उसके कान में कुछ कहता है.
आखिर जल्लाद कैदी के कान में क्या कहता है?
फांसी की सजा मुकर्रर होने के बाद बचने की संभावना शुन्य हो जाती है. व्यक्ति की आंखों के सामने फांसी का फंदा उसकी मौत का इंतजार कर रहा होता है.
बस इतना इंतजार है की कब जल्लाद फांसी की रस्सी खींचेगा और उसकी मौत हो जाएगी. जल्लाद यह काम करके क्या खुश हो सकता है? उसे चैन की नींद कैसे आती होगी? इसीलिए जल्लाद कैदी से आखिरी समय में माफी मांगता है.
जल्लाद कहता है-“मैं तुम्हारी जान लेना नहीं चाहता हूं. मैं तुमसे माफी मांगता हूं कि मेरे हाथों तुम्हारी मौत हो रही है. लेकिन मैं मजबूर हूं. हो सके तुम मुझे माफ कर देना क्योंकि मैं सरकार का गुलाम हूं और अब आपके लिए कुछ नहीं कर सकता.” इसके बाद जल्लाद यदि हिंदू है तो कैदी को राम-राम कहता है और यदि मुस्लिम है तो सलाम कहता है. इसके पश्चात जल्लाद फांसी करवा देता है.