उसने पहले हाथ मेरी पैंट में डाला था, ऑडिशन के वक़्त करना पड़ता था ये काम? तारक मेहता की बबिता जी ने खोला रा’ज

तारक मेहता का उल्टा चश्मा में पॉपुलर बबीता जी का किरदार निभाने वाली मुनमुन दत्ता ने अपने जीवन से जुड़ा एक किस्सा अपने फैंस के साथ साझा किया है. उन्होंने अपने साथ हुई खौ’फनाक घटनाओं को याद करते हुए इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर की थी जिसमें उन्होंने #Mee Too मूवमेंट को याद करते हुए अपने साथ हुई उन घटनाओं को समाज के सामने रख रखा था जो काफी असहज थी.

जैसा कि आप सभी जानते हैं मुनमुन दत्ता आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं और उन्होंने अपने अभिनय से सबका दिल जीत लिया है. लंबे समय तक तारक मेहता का उल्टा चश्मा में काम करने के बाद मुनमुन दत्ता को छोड़ चुकी है लेकिन बावजूद इसके उनकी लाखों में फैन फॉलोइंग बनी हुई है.

यह कहना लाजमी है कि मुनमुन दत्ता को यह मुकाम एक दिन में हासिल नहीं हुआ है बल्कि इस दरमियान उन्हें कई तरह के कड़े संघर्ष भी करने पड़े हैं. जिसके बाद मुनमुन दत्ता ने चारों तरफ महिलाओं के साथ होने वाली परेशानियों का जिक्र किया है. मुनमुन इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट साझा की थी.

जिसमें उन्होंने लिखा था कि जब मुझे इस तरह के पोस्ट करने पड़ रहे हैं और महिलाओं के साथ होने वाले छे’ड़खानी के मामलों में वैश्विक जागरूकता की आवश्यकता हो चुकी है तो इससे पता चलता है कि यह समस्या कितनी गं’भीर है. मुनमुन दत्ता ने कहा कि अपने आप को अच्छा मर्द कहने वाले महिलाओं की यह संख्या देखकर स्त’ब्ध हो गए होंगे क्योंकि # Mee Too आंदोलन में करोड़ों महिलाएं आ चुकी है.

बताया अपने साथ हुई उन घट’नाओं के बारे में

मुनमुन दत्ता ने लिखा कि इस तरह की बातें लिखते हुए मेरी आंखों में आंसू आ जाते हैं लेकिन ‘जब मैं छोटी थी तब मैं पड़ोस के अंकल और उनकी नजरों से काफी ज्यादा डरती थी. जो कभी भी मौका पाकर मुझे घू’रने लगती और इस बात का एहसास कराते कि मुझे यह बात किसी को नहीं कहनी है.

यह वही इंसान था जिसने हॉस्पिटल में मुझे पैदा होते हुए देखा था लेकिन 13 साल बाद उसे लगने लगा कि अब वह शरीर के मेरे अंगों को छू सकता है क्योंकि मेरे शरीर में बदलाव हो चुके थे. उन्होंने कहा कि मेरा एक ऐसे ट्यूशन टीचर से भी सामना हुआ जिसने मेरे अंडर पेंट में हाथ डाला था. एक दूसरा टीचर वह जिसे मैंने राखी बांधी थी लेकिन वह लड़कियों को क्लास में बांधने के लिए ब्रा की स्ट्रीप खींचता था या कभी कबार सजा देने के लिए वह उनके स्तन पर थप्पड़ मारता था.

उस आदमी के बारे में ही बात कर लीजिए जो किसी भी सार्वजनिक स्थान पर आप से ब’दतमीजी करने में नहीं चूकता. उन्होंने आगे कहा कि जब ऑडिशन देने की बारी आई तब भी किसी ने इन में कोई कमी नहीं रखी. सबसे अहम बात यह है कि अपने साथ हुई इन बातों को बताने से हम इतने डरते हैं कि हमारे पेट में मरोड़ उठने लगते हैं और हमारा दम घुटने लगता है.

यह समाज अपनी घृणित भावनाओं से हमें देखता है और खुद को बचाने के लिए दोषी भी हमें ही ढहराता है. यहां तक कि इस बारे में हम अपने माता-पिता से भी बात नहीं कर सकते क्योंकि वह भी हमें ही गलत समझते हैं.