Turkmenistan : सरकार ने आदेश दिए यहां के “नर्क के दरवाजे” को बंद करने के

दुनियाभर में अक्सर लोग स्वर्ग-नर्क जैसी बातों पर बहस करते हुए नजर आते हैं, कुछ लोग इसे मात्र कोरी कल्पना मानते हैं तो कुछ लोग इसे वास्तविक ठहराने के लिए लड़ पड़ते हैं. छोटे बच्चों को भी बचपन से ही स्वर्ग नरक जैसी बातें बताई जाती है जिसमें उन्हें डराया जाता है कि अगर जिंदगी में कुछ गलत काम करेंगे तो नर्क में जाना पड़ेगा.

अब यह बातें कितनी सच है और कितनी झूठ यह तो कोई नहीं जानता, लेकिन दुनिया में एक ऐसा छोर भी है जहां लोग दावा करते हैं कि यहां नर्क का दरवाजा है.धरती के इस छोर पर यहां के निवासियों के अनुसार नर्क का दरवाजा स्थित है, यह जगह तुर्कमेनिस्तान में काराकुम रेगिस्तान में स्थित है. यह तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्गाबात से लगभग 260 किलोमीटर दूर है.

यह एक प्रकार का गहरा खड्डा है, जो अपने आप में बेहद विचित्र है. 60 मीटर चौड़े और 20 मीटर गहरे खड्डे में 70 के दशक से ही आग धधक रही है, यह आग 1971 में सोवियत संघ के एक ड्रिलिंग ऑपरेशन के दौरान जल उठी थी, जो आज तक लगातार जल रही है.

अब यहां लगातार आग जलने की असली वजह क्या है यह तो कोई नहीं जानता, यहां के निवासियों के अनुसार यह जगह 1960 से ही अस्तित्व में है लेकिन 1980 के बाद से इसमें आग लग चुकी है.रिपोर्ट्स के मुताबिक यह उस दौर की बात है जब सोवियत संघ के वैज्ञानिक रेगिस्तान में तेल के लिए ड्रिलिंग कर रहे थे. वैज्ञानिकों का एक दस्ता क्षेत्र में नेचुरल गैस का पता लगाने की कोशिश कर रहा था, कभी यहां ड्रिलिंग के दौरान जमीन कुछ धंसने लगी और अचानक ही आग की लपटें उठने लगी.

नेशनल ज्योग्राफिक के अनुसार यहां नीचे जलती हुई आग को किनारे खड़े होकर सुना जा सकता है यहां का तापमान इतना ज्यादा है कि इसे सहन कर पाना भी नामुमकिन है. इस जगह को बाद में लोगों ने नाम दे दिया “नरक का दरवाजा”, जिससे काफी अंधविश्वास भी जुड़े हुए हैं.‌

इस खड्डे में पहली बार प्रवेश करने वाला एक कनाडा का खोजी था जिसका नाम जॉर्ज कोरोनोयस था, जिसमें बताया कि इस खड्डे में आश्चर्यजनक रूप से कई मीटर तक भयंकर आग की लपटें उठती रहती है. यह बीच में एक मुख्य अग्नि ज्वाला स्थित है जो लगातार तेज हो रही है.