आ’खिर क्या है “पुष्पा” फिल्म में दिखाए गए लाल चंदन की असली कहानी? क्या सच में है यह इतना दुर्लभ?

अल्लू अर्जुन फ़िल्म पुष्पा सिनेमा घरों में धमाल मचा रही है, दिनों दिन फ़िल्म पब्लिसिटी बढ़ रही है और दर्शक इसे काफी पसंद कर रहे है. फिल्म का निर्माण मुख्यतः तेलुगु भाषा में हुआ था.

लेकिन फिल्म की सफलता को देखते हुए इसे बाद में तमिल, कन्नड़, मलयालम और हिंदी भाषा में भी रिलीज किया गया था. फिल्म 14 जनवरी को ओटीटी पर भी रिलीज हो चुकी है, और अब तक इस फिल्म ने 300 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर ली है.

फिल्म में अभिनेता अल्लू अर्जुन एक ट्रक ड्राइवर की भूमिका निभाते हैं जो रायलसीमा में शेषालम की पहाड़ियों में लाल चंदन की स्मगलिंग करता है. इसी काम की वजह से वह जल्दी ही पैसे वाला भी बन जाता है.

अल्लू अर्जुन का यह किरदार देखने के बाद दर्शकों के बाद में लाल चंदन को लेकर कई प्रश्न खड़े हो चुके हैं? लोग सोचने लग गए हैं कि आखिर इस लाल चंदन की असली कहानी क्या है?

वैसे यह फिल्म तो काल्पनिक है लेकिन इसमें लाल चंदन के बारे में बताई गई बातें लगभग सच है. ऐसा कह सकते हैं कि लाल चंदन में भारत का वह प्राकृतिक खजाना है जो सोने की तरह महत्वपूर्ण है. इसीलिए इसे भारत का “लाल सोना” भी कहा जाता है.

सबसे खास बात यह है कि इस लाल चंदन में दूसरे चंदन की तरह कोई खुशबू नहीं होती. बाकी पीले और केसरिया चंदन काफी खुशबूदार होते हैं लेकिन इसके विपरीत इसमें ऐसा कुछ नहीं है लेकिन फिर भी यह बहुत महत्वपूर्ण है.

बाजार में लाल चंदन की काफी ज्यादा मांग है और इससे महंगे और खास तरह के फर्नीचर और सजावट की चीजें बनाई जाती है. लाल चंदन का उपयोग शराब बनाने में किया जाता है इसके अलावा यह कॉस्मेटिक्स की चीजें बनाने के लिए भी काफी उपयोगी है.

लाल चंदन का उपयोग कई आयुर्वेदिक औषधियों में किया जाता है. इसी वजह से आयुर्वेद जगत में लाल चंदन की खासी मांग रहती है. इसके लिए इसका बड़े स्तर पर व्यापार किया जाता है. इसके पेड़ लगभग 8 से 12 मीटर तक लंबे होते हैं, और यह हर जगह पाये भी नहीं जाते.

भारत में भी यह पेड़ काफी दुर्लभ है. वर्तमान में लाल चंदन के पेड़ तमिलनाडु की सीमा से लगे आंध्र प्रदेश के केवल 4 जिलों में पाए जाते हैं. यह पेड़ केवल नेल्लोर, कुरनूल, चित्तूर और कडप्पा में उपस्थित शेषालम की पहाड़ियों में ही मिलते हैं.