मित्रों ईश्वर का साथ कौन नहीं चाहता? सभी लोगों की परम इच्छा होती है कि ईश्वर का हाथ उन पर सदा बना रहे. ईश्वर सभी प्राणियों से प्रेम करते हैं लेकिन कभी-कभार हमारे जीवन में ऐसी स्थिति आ जाती है कि हमें मन में संशय हो जाता है कि आखिर ईश्वर हमारे साथ है या नहीं? आज हम ऐसे ही संकेतों के बारे में बात करने जा रहे हैं जिनसे पता चलता है कि ईश्वर आपके साथ है या नहीं.
जानिए ऐसे संकेत कौन-कौन से है?
1-आप जो भी करेंगे उसमें विफलता प्राप्त होगी- जी हां यदि ईश्वर आपके साथ है तो आप जो भी काम करने की कोशिश करेंगे आवश्यक रूप से आपको उसमें विफलता प्राप्त होगी. आपको बार-बार विफलताओं का सामना करना पड़ेगा आपके जीवन में हताशा आ जाएगी. ऐसा तब तक होगा जब तक आपकी आंखें नहीं खुल जाती और आपको अपनी सफलता का मूल्य मालूम नहीं चल जाता.
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2-आपके जीवन में दुःख चरम सीमा पर होगा– आपका जीवन ऐसी मुश्किल घड़ी से गुजरेगा कि आपको लगेगा कि आप से बड़ा दुखी और कोई नहीं. आपके जीवन में दुख अपनी चरम सीमा पर रहेगा और आपको शायद इसका कोई समाधान भी प्राप्त ना हो. एक के बाद एक आपके जीवन में मुसीबतें हाथी जाएगी.
3-आपका अपने ऊपर से विश्वास खत्म हो जाएगा- तीसरा सबसे बड़ा संकेत यह है कि जीवन की मुश्किल घड़ियों से गुजरते हुए आपका स्वयं से विश्वास खत्म हो जाएगा. आपको ऐसा लगने लगेगा कि मेरा जीवन व्यर्थ है और शायद मैं कुछ नहीं कर सकता. आपके जीवन में सफलता के दरवाजे हर तरफ से बंद होने लगेंगे.
4-सभी उम्मीदें खत्म- जब आपके जीवन के सभी दुखों से आपकी उम्मीद खत्म हो जाएगी और आपकी सहायता करने वाला कोई नहीं होगा, तब शुरू होगा आपको ईश्वरीय शक्ति का एहसास. यह वह क्षण होगा जब आपकी अपने अंदर ही एक खोज शुरू हो जाएगी. और आप स्वयं में ही शक्तिमान महसूस करने लगेंगे.
यह जीवन का महत्वपूर्ण क्षण होगा जब आपको स्वयं का ज्ञान होना प्रारंभ हो जाएगा. इस समय में आप स्वयं पर विश्लेषण कर सकते हैं. आप देख पाएंगे कि मेरे जीवन की विफलता के कारण क्या थे? आप यह भी सोच पाएंगे कि सफलता प्राप्त करने के लिए मुझे आगे क्या करना होगा!
5-जीवन चरित्र में बदलाव शुरू- स्वयं की खोज के पश्चात अभी यह समय आपके जीवन में बदलाव का होगा. इस क्षण में आपके जीवन की हर चीज आपको बदलती प्रतीत होगी. धीमे धीमे आपके चरित्र में बदलाव शुरू हो जाएगा. इस समय आप हर परिस्थिति से लड़ने के लिए मजबूती से तैयार हो जाएंगे.
6-जीवन में हार- जीत का अनुभव समाप्त- जीवन चरित्र में बदलाव के पश्चात अब यह समय होगा जब आपको जीवन में किसी प्रकार की हार- जीत का अनुभव नहीं होगा. आपको अपने जीवन में किसी भी वस्तु को कोई घमंड नहीं होगा और ना ही किसी वस्तु के खो देने का गम.
वास्तव में यह वह समय होगा जब आपको यह संपूर्ण संसार नाटक की भांति प्रतीत होगा. आप ऐसा महसूस करेंगे कि आप इस दुनिया के केंद्र में है और मनोरंजन के लिए इस दुनिया में लोग अनायास प्रयास कर रहे हैं. इस चरण में ईश्वर के प्रति आपकी आस्था बढ़ जाएगी और आपको यह दुनिया मात्र ढोंग लगेगी.
7- आस्था पर झटका- जब आप यह महसूस करेंगे की अब आप ईश्वर के निकट हैं तथा आपको इस दुनिया की कोई आवश्यकता नहीं है उस क्षण ही आपके जीवन में कुछ ऐसा होगा जो आपके लिए कठिन होगा. आपको अब जीवन में सबसे बड़ी परीक्षा देनी होगी जब भगवान आपकी उनके प्रति आस्था की परीक्षा लेंगे.
इस अवस्था में या तो आप बेहद दरिद्र होंगे या इतने धनवान कि भगवान का अस्तित्व ही भूल जाएंगे. आपकी आंखों पर मोह माया की पट्टी बंध जाएगी. और यदि आप इस मोह माया में उलझ जाते हैं तो भगवान के प्रति इस परीक्षा में आप निश्चित रूप से फेल हो जाएंगे.
8-ईश्वर के प्रति अडिग आस्था- यदि आप अपने जीवन की किसी परीक्षा में नहीं अटकते हैं, और सर्वोपरि परमात्मा पर विश्वास बनाए रखते हैं, तो यह क्षण होगा जब आपका ईश्वर मिलन तय है. अब आप स्वयं परमात्मा का हिस्सा बन जाएंगे और ईश्वर के प्रति आपकी श्रद्धा इतनी अधिक और मजबूत हो जाएगी कि दुनिया की कोई शक्ति उसे नहीं तोड़ सकती.