दीपावली के दूसरे दिन ही गोवर्धन पूजा की परंपरा हमारे भारतीय समाज में रही है. गोवर्धन पूजा की परंपरा भगवान श्री कृष्ण ने प्रारंभ की थी, मूल रूप से यह प्रकृति पूजा है. यदि आप गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्री कृष्ण की असीम कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो आप कुछ पेड़ पौधे जरूर लगाएं. साथ ही गौ माता को चारा भी दें, ना केवल गौ माता अपितु आसपास के सभी दुखियारी जीवो को कुछ खाने के लिए अवश्य दें.
इस दिन नए अनाज का भगवान को भोग लगाने के लिए अन्नकूट का प्रसाद भी बनाया जाता है. जिसे बाद में घर के सभी सदस्यों और आसपास के लोगों में बांटा जाता है. इन सभी कार्यों का सबसे प्रमुख मुद्दा है गोवर्धन की पूजा, इसलिए इसे विशेष शुभ मुहूर्त और विधि विधान से करना आवश्यक है.
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क्या है शुभ मुहूर्त?- भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पूजा करने का सबसे शुभ मुहूर्त तब बताया था जब ना अंधेरा हो और ना ही भगवान सूर्यनारायण अपनी किरणें बरसाने लगे. यानी कि प्रात काल सूर्योदय से पहले गोवर्धन पूजा करना अत्यंत शुभ है. इस वर्ष गोवर्धन पूजा का सबसे उत्तम मुहूर्त सुबह 5:28 से 7: 55 तक रहेगा. इसके बाद शुभ मुहूर्त शाम 5:16 से 5:42 तक रहेगा. हालांकि विशेष शुभ मुहूर्त तो सुबह का ही माना गया है परंतु किसी आपातकालीन स्थिति में आप पूजा शाम को भी कर सकते हैं.
कैसे किया जाए गोवर्धन पूजन?- मित्रों गोवर्धन पूजन के लिए आपको सर्वप्रथम गाय का गोबर लाना होगा, यदि किसी भी स्थिति में गाय का गोबर नहीं प्राप्त हो तो भैंस का भी गोबर प्रयोग में लाया जा सकता है. यदि गोबर ही ना प्राप्त हो सके तो मिट्टी का भी प्रयोग किया जा सकता है. सर्वप्रथम इस गोबर को अपने घर के बाहर अथवा आंगन में पर्वत की आकृति में स्थापित करें.
उस पर पेड़ की टहनियां लगाएं. तत्पश्चात लक्ष्मी पूजन की थाली लाए, इसके साथ एक दिया और एक कलश जिसमें दूध दही, घी, शहद और शक्कर मिला हो. यानी कि थाली के साथ दिये के अलावा पंचामृत भी तैयार कर ले. तत्पश्चात सर्वप्रथम श्रीकृष्ण को हाथ जोड़कर उनके चरणों में पंचामृत अर्पित करें.
तत्पश्चात गोवर्धन पर्वत को तिलक करें, दीया जलाएं, चावल भेंट करें, फल भेंट करें, पुष्प भेंट करें, अन्नकूट अथवा अन्य किसी मिठाई से भोग लगाएं. अंत में पंचामृत अर्पित करके प्रकृति रक्षा का संकल्प लें. पर्वत की आरती उतारे और सच्चे मन से श्री कृष्ण को याद करें. अंत में प्रसाद सभी में बांटे.