शास्त्रों एवं धर्म पुराणों में दान का सबसे महत्वपूर्ण स्थान बताया गया है. इतिहास में कुछ लोग तो केवल अपनी दान नीति के कारण ही प्रसिद्ध है जैसे कि “अंगराज कर्ण” जिन्हें “दानवीर कर्ण” कहा जाता है. पुराणों में कहा गया है कि जो मनुष्य अपनी धनसंपदा में से लेश मात्र भी दान नहीं करता वास्तव में उसका जीवन किसी पशु से कम नहीं है.
फिर कुछ लोग सोचने लगते हैं कि आखिर हमारे पास जितना धन है उसमें से कितना दान किया जाए कि हमें पुण्य की प्राप्ति हो? इस प्रश्न के उत्तर स्वरूप कहा जाया जाता है कि आप अपनी इच्छाशक्ति से जितना चाहे उतना दान कर सकते हैं लेकिन दान आवश्यक है.
इसके लिए एक पैमाना भी निर्धारित किया गया है, कि प्रत्येक मनुष्य को अपनी कमाई का दसवां हिस्सा दान दे देना चाहिए. लेकिन इन लोगों को दान करना चाहिए? क्या दान करना चाहिए? किसे दान नहीं करना चाहिए? यह कुछ ऐसे प्रश्न है जो हर सामान्य दानी मनुष्य के जहन में आते हैं और आज हम इन्हीं प्रश्नों का उत्तर जानने का प्रयास करेंगे.
क्या दान करना चाहिए ?– वास्तव में दान करने के लिए कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है आपकी जो भी इच्छा हो आप वह वस्तु दान कर सकते हैं. लेकिन यदि सर्वोत्तम दान धर्म की बात की जाए तो सर्वप्रथम मनुष्य को भोजन दान में देना चाहिए, यदि मनुष्य को ऐसे व्यक्ति को भोजन दान में देना चाहिए जो भूखा हो.
भोजन दान में देना सर्वाधिक पुण्य का काम है क्योंकि भोजन प्राप्त करना प्रत्येक मनुष्य का प्राथमिक अधिकार है और जीवन जीने के लिए सर्वाधिक आवश्यक है. भोजन के अलावा व्यक्ति को अन्य लोगों के लिए जल की व्यवस्था भी करनी चाहिए.
यदि आप जल की कोई बड़ी प्याऊ नहीं बना सकते तो इसमें कोई दुविधा नहीं है इसके बजाय आप 5-10 मटकियां भर कर भी रख सकते हैं जिससे आते जाते राहगीर ठंडा जल प्राप्त करके अपनी प्यास बुझा सके. भोजन पानी प्राप्त करने के बाद मनुष्य की तीसरी सबसे बड़ी आवश्यकता होती है कि उसके तन पर कपड़े हो.
इसलिए भोजन और पानी के पश्चात आप दूसरों को कपड़ों का दान कर सकते हैं. विशेषकर सर्दियों के समय आप जरूरतमंदों को गर्म कपड़े दान करके पुण्य लूट सकते हैं. इन के पश्चात मनुष्य की चौथी सबसे बड़ी आवश्यकता हो कि उसके रहने के लिए कोई छोटा-मोटा निवास स्थान हो, इसलिए आप जरूरतमंदों के लिए छोटा-मोटा निवास स्थान भी बनवा सकते हैं. ध्यान रखिए कि इसमें आप बड़ा मकान बनवाने के लिए बाध्य नहीं है बल्कि आप छोटी मोटी व्यवस्था करके कोई बढ़िया झोपड़ी भी तैयार करवा सकते हैं.
इसके पश्चात सर्वाधिक महत्वपूर्ण दान गाय का बताया गया है यानी कि आप किसी जरूरतमंद को गाय दान स्वरूप दे सकते हैं. गाय दान में देने से वह व्यक्ति संपूर्ण सुविधाओं को प्राप्त कर सकता है और दूध, दही संबंधी अपनी समस्याएं दूर कर सकता है, इसके अलावा गाय के खाद से वह कुछ फसलें भी उगा सकता है.
इन सभी वस्तुओं के अलावा यदि आप समर्थ है तो आप पैसे और सोना, चांदी भी दान स्वरूप लोगों को बांट सकते हैं. हालांकि पैसे और सोना चांदी बांटने वाले लोग बेहद दुर्लभ है. शास्त्रों में बताया गया है कि जो भी व्यक्ति इन सभी वस्तुओं का दान करता है उसे अपनी मृत्यु के समय मोक्ष की प्राप्ति अनायास ही हो जाती है, जैसा कि हम सभी जानते हैं कि दान और हरीभक्ति मोक्ष का सीधा अनायास रास्ता है और प्रत्येक मनुष्य इसे प्राप्त कर सकता है.
किसे दान नहीं देना चाहिए ?– कुछ लोग समर्थ होते हैं और खूब दान करते हैं लेकिन फिर भी उन्हें उस दान का कोई भी उचित फल प्राप्त नहीं होता है और वें सोचने लगते हैं कि आखिर इतना दान पुण्य करने के पश्चात भी उन्हें उचित फल की प्राप्ति क्यों नहीं हो रही? इसका सीधा सा उत्तर यह है कि ज्यादातर लोग यह जानते ही नहीं कि हमें किसे दान करना चाहिए और किसे दान नहीं करना चाहिए!
अपनी इसी नासमझी के कारण ही लोग कुछ ऐसे व्यक्तियों को दान दे देते हैं जिन्हें दान देने से वास्तव में कोई पुण्य प्राप्त होता ही नहीं है. बजाय इसके हम अनजाने में उस पाप के भागी बन जाते हैं जो हमने किया ही नहीं है.
शास्त्रों में वर्णित है कि दान का बड़ा महत्व है लेकिन कुछ दुष्ट प्रवृत्ति के लोग अपनी बुरी स्थिति के बावजूद भी दान लेने के योग्य नहीं है. इसलिए आप ध्यान रखिए कि आपको निम्न प्रकार के लोगों को कोई दान नहीं देना है.
- 1-जो व्यक्ति अपने व्रत और संकल्प बार-बार तोड़ता हो.
- 2-जो व्यक्ति पापी हो और जीव हत्या करने से नहीं कतराता हो. जो शौक से मांसाहार का सेवन करता हो.
- 3-जो व्यक्ति किसी का एहसान नहीं मानता हो और कृतघ्न हो. जिसमें दूसरों के प्रति सम्मान की भावना नहीं हो.
- 4-जो व्यक्ति चोरी करता हो और गाली गलौज करता हो.
- 5-जो पाखंडी गुरु हो और भक्ति साधना के नाम पर कुछ अन्य क्रियाएं ही कर रहा हो.
- 6-जो पैसे लेकर पूजा पाठ करता हो और पैसे लेकर धर्म उपदेश देता हो. (वास्तव में यह सबसे बड़ा पाप माना गया है. जिसके अनुसार हर वह संत ढोंगी है जो पैसा लेकर धर्म उपदेश देता हो और लोगों को मूर्ख बनाने का कार्य करता हो)
- 7-जो व्यक्ति ग्रहस्थ हो तथा उसकी पत्नी सक्षम हो.
किसे दान करना चाहिए ?– दान केवल जरूरतमंद व्यक्ति को ही करना चाहिए. आप ऐसे लोगों को दान कीजिए जो भूखे रहने के लिए मजबूर है जिन्हें एक वक्त का खाना भी नसीब नहीं होता है. आप ऐसे बड़े बूढ़ों की सहायता कीजिए जो अपनी ही औलादों के तिरस्कार के शिकार हैं. आप ऐसे छोटे अनाथ असहाय बच्चों की सहायता कीजिए जो किस्मत के मारे किसी अनाथ आश्रम में रहने को मजबूर हैं. आप ऐसे दुःखी लोगों की सहायता कीजिए जो चाहते हुए भी अपनी जरूरतें पूरी नहीं कर पा रहे हैं.