किस समय बैठती है विद्या देवी सरस्वती हमारी जुबान पर? जब कुछ भी कहा हुआ हो सकता है सच

हम अक्सर अपने बड़े बुजुर्गों के मुंह से सुनते हैं कि हमें हमेशा शुभ और सकारात्मक बातें करनी चाहिए. बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि किसी भी मनुष्य को अपशब्द और नकारात्मक बातें नहीं करनी चाहिए क्योंकि क्या पता उस समय उनके मुंह पर मां सरस्वती विराजमान हो और वह नकारात्मक बातें सच हो जाए!

तो सच में है क्या ऐसा होता है? यदि होता है तो किस समय माता सरस्वती हमारी जुबान पर आसीन होती है? मित्रों पहले तो इस प्रश्न का उत्तर की यह बात केवल कोरी कल्पना नहीं है और ऐसा वास्तव में देखा गया है.

जैसा कि हम सभी जानते हैं माता सरस्वती बुद्धि, ज्ञान और विवेक की देवी है. वह शब्द की माधुर्य और ज्ञानवती है. वीणा वादिनी सरस्वती ने ही सर्वप्रथम सृष्टि में स्वर भरे हैं, ऐसी मान्यता है कि माता सरस्वती से सर्वप्रथम “स” स्वर की उत्पत्ति हुई और इसी वजह से संसार के सभी नदी,नालों और पक्षियों को आवाज मिली.

यह भी बेहद लोकप्रिय मान्यता है कि पूरे 1 दिन यानी 24 घंटे में एक समय ऐसा आता है जब प्रत्येक मनुष्य के जुबान पर माता सरस्वती स्वयं आसीन होती है. इस विषय में ऐसा कहा जाता है कि इस समय उपरांत जो भी शब्द मनुष्य बोलता है वह सच हो जाते हैं.

मित्रों धर्म पुराणों के अनुसार रात्रि के 3:10 से 3:15 के 5 मिनट यह ऐसे होते हैं जो प्रत्येक मनुष्य की जुबान पर माता सरस्वती स्वयं होती है. अब आप सोचेंगे इस समय तो कोई जानता ही नहीं है तो इस बात का क्या आशय हुआ? लेकिन मित्रों ऐसा नहीं है कि इस समय दौरान कोई भी नहीं जागता है.

यह वह चरम सीमा समय है जब हमें किसी भी परिस्थिति में किसी प्रकार के अपशब्द या नकारात्मक बातों का वर्णन नहीं करना है. लेकिन इसका असर प्रातः काल तक रहता है इसलिए आपको प्रातः कालीन यानी कि सूर्योदय से पहले और सूर्योदय के कुछ समय बाद भी किसी प्रकार के एक शब्द या नकारात्मक बातों का वर्णन नहीं करना है.