दीपावली महापर्व की रीढ़ की हड्डी लक्ष्मी पूजन ही होता है. माता लक्ष्मी से हम अन्न-धन की प्रार्थना करते हैं, जिससे हमारे जीवन में कभी धन की कमी ना हो और हम सदैव प्रसन्नचित्त जीवन जी सकें. माता लक्ष्मी के साथ ही भगवान गणेश से भी हमारे जीवन से क्लेश-विकार दूर करने और आरोग्य जीवन हेतु प्रार्थना की जाती है. इनके अलावा माता सरस्वती से ज्ञान की प्राप्ति हेतु प्रार्थना की जाती है.
ऐसे में यदि यह पूजा बिना मुहूर्त के की जाए तो इसका कोई लाभ नहीं. लक्ष्मी पूजन के लिए आवश्यक है कि आप शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखकर ही पूजा करें, साथ ही यह भी आवश्यक है कि आप संपूर्ण विधि विधान के साथ ही लक्ष्मी पूजन करें. ताकि आगामी जीवन में आप पर धन की खूब वर्षा हो.
क्या है शुभ मुहूर्त?-
मित्रों इस वर्ष लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त ऋषभ लग्न और मिथुन लग्न दोनों में ही है. जिन लोगों के पास धन टिकता नहीं है यानी कि उनकी कमाई कम है और खर्चे बहुत अधिक ऐसे लोगों को ऋषभ काल में ही मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. ऋषभ लग्न शाम 6:02 बजे से प्रारंभ होकर 7:57 बजे तक रहेगा. जबकि मिथुन लग्न शाम 7:57 बजे से 10: 11 बजे तक रहेगा. इसलिए आप इसी समय ही लक्ष्मी पूजन सुनिश्चित करें.
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कैसे करें सरल विधि से लक्ष्मी पूजन?-
मुहूर्त के साथ-साथ माता लक्ष्मी की पूजा विधि विधान से भी होना आवश्यक है. इसके लिए सबसे पहले आपको माता लक्ष्मी की पूजा के लिए अत्यंत श्रद्धावान होना पड़ेगा यानी की संपूर्ण श्रद्धा और सच्चे मन से माता लक्ष्मी की पूजा की तैयारी करें. सर्वप्रथम आप स्वयं स्नान कर ले.
साथ ही यह भी ध्यान रखिए कि आपको काले या सफेद रंग के कपड़े नहीं पहनते हैं. स्नान के पश्चात पूर्व या उत्तर पूर्व में पूजा करने के लिए जगह बना ले. वहां अच्छी तरह साफ सफाई करके गंगाजल का छिड़काव करें. यदि गंगाजल नहीं है तो घर का स्वच्छ पानी ही प्रयोग में लाइए. इसके पश्चात चौकी स्थापित करने के लिए एक लकड़ी का पाटा या चौकी वहां रखिए.
उस पर लाल या गुलाबी कपड़ा बिछा दे. इसके पश्चात आपके पास माता लक्ष्मी की मूर्ति या फोटो जो भी है उसे चौकी पर स्थापित कीजिए. माता लक्ष्मी की मूर्ति से पहले गणेश जी की मूर्ति आएगी, इसलिए गणेश जी की मूर्ति को दाहिनी ओर स्थापित करें. इसके पश्चात माता सरस्वती को विराजमान करें.
आपने जो पूजा की थाली सजाई है उसे तीनों देवताओं के चरणों में रख दें. ध्यान रखिए की पूजा की थाली में सफेद और पीली मिठाई, फूल, कुमकुम, मूंग, मौली, चावल और जल का एक कलश अवश्य हो. इसके बाद फूलों से पूरी चौकी को सजा दे. तत्पश्चात माता लक्ष्मी के चरणों में घी का एक दिया जला दें.
सर्वप्रथम सभी देवताओं से आज्ञा लेकर उनके चरणों में चावल का भोग लगाएं, उन्हें तिलक करें. इसके पश्चात गणेश जी को पीली मिठाई और पीले फूल अर्पित करें जबकि माता लक्ष्मी को सफेद मिठाई और लाल-गुलाबी फूल अर्पित करें. माता सरस्वती को भी पीले ही फूल और मिठाई अर्पित करें.
सभी देवताओं के सामने बत्ती करें, और हाथ जोड़कर सभी से प्रार्थना करें. अंत में प्रार्थना के पश्चात आरती की जाएगी. इसलिए आप सभी परिवार जन एक साथ माता लक्ष्मी की विधिवत आरती गावे. आरती करने के पश्चात प्रसाद सभी में बांटे और आवश्यक रूप से सभी बड़ों का आशीर्वाद ले.