सृष्टि के प्रतिपालक और संहारक, सृष्टि के रचयिता भगवान शिव जो अपने आप में संपूर्ण ब्रह्मांड को समेटे है. जो परम सत्य है आदि अनंत है, उनके विषय में विश्व में आज तक इतना बुद्धिमान कोई नहीं हुआ है जो संपूर्ण ज्ञान रखता हो.
रामचरितमानस में भी भगवान श्री राम कहते हैं कि शिव की बुराई करने वाला मुझे स्वप्न में भी बर्दाश्त नहीं है. लेकिन बड़े दुर्भाग्य की बात है कि वर्तमान की पढ़ी लिखी पीढ़ी भगवान शिव के विषय में ऐसे ऐसे झूठ फैला चुकी है.
जिनका वर्णन करना भी भगवान शिव का अपमान है. आज हम ऐसे ही दो मुद्दों के बारे में बात करेंगे जो वास्तव में गलत रूप से वर्णित किए जा रहे हैं, जो कि एक पाप है.
1-शिवलिंग का आशय :–
वास्तव में यह शब्द “शिवलिंगम्” है. यह संस्कृत भाषा का एक शब्द है जिसमें लिंगम् का आशय है प्रतीक चिन्ह. यानी शिवलिंगम् का आशय हुआ भगवान शिव का प्रतीक चिन्ह.
यह कुछ दीर्घ वृत्ताकार चिन्ह होता है जो हमारे ब्रह्मांड को प्रदर्शित करता है. यह आकृति विहीन है क्योंकि भगवान शिव ब्रह्मांड के कण-कण में बसे हैं, शिव निराकार है शून्य है, अनंत है इसलिए शिव को कोई एक स्वरूप देना नामुमकिन है.
यह संपूर्ण ब्रह्मांड की ऊर्जा और शक्ति को प्रदर्शित करता है. लेकिन जो कुछ लोग अपने मनमाने ढंग से इनका गलत मायना निकालने के लिए तुले हुए हैं उनका मस्तिष्क मात्र कीचड़ का भंडार है. ऐसे सस्ते लोगों पर ध्यान ना दिया जाए तो ही अच्छा है.
2-भगवान शिव भांग और गांजे का सेवन करते हैं?
वर्तमान समाज में ऐसी बातें बखूबी फैलाई जा रही है कि भगवान शिव स्वयं भांग और गांजे का सेवन करते हैं. शिवरात्रि के दिन भी भगवान शिव को सबसे ज्यादा भांग अर्पित की जाती है और कहा जाता है कि भगवान शिव का प्रसाद है.
लेकिन वास्तव में किसी भी धर्म पुराण में, किसी भी शास्त्र में और किसी भी वेद में इस बात का वर्णन नहीं है कि भगवान शिव भांग-गांजे का सेवन करते हैं. इनमें केवल भगवान के विष ग्रहण करने की घटना का वर्णन किया गया है.
इसलिए यह बात एकदम झूठ है कि भगवान शिव भांग और गांजे का सेवन करते हैं. ऐसी फालतू बातें भगवान शिव की छवि खराब करने के लिए फैलाई गई थी जो वर्तमान समय में सत्य का रूप धारण कर चुकी है.
सोशल मीडिया पर भी ऐसी अनेकों तस्वीरें साझा की जाती है जिनमें भगवान शिव चिलम पीते हुए या भांग-गांजे का सेवन करते हुए नजर आते हैं. लेकिन यह सरासर गलत है, पाप है.