शारदीय नवरात्रि में माँ दुर्गा को ये 9 भोग जरूर चढ़ाएं .. माता रानी हो जाएगी प्रसन्न

नवरात्रि में माता की पूजा पाठ के अलावा हमें उनको चढ़ाए जाने वाले भोग का भी विशेष ध्यान रखना होता है.‌ यदि हमारी उत्तम पूजा पाठ तथा आस्था से माता प्रसन्न होती है तो हमारी हर कामना पूर्ण होती है, क्योंकि हर रोग का अपना एक विशेष महत्व होता है. यदि आप अखंड ज्योति तथा कलश की स्थापना नहीं भी करते हैं सामान्य नवरात्रि में पूजा करते हैं तो भी आप हर दिन माता रानी को भोग लगाकर उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं.

1– माता के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री माता को देसी घी अत्यंत प्रिय है, इसलिए आप कोशिश करें कि शुद्ध गाय का देसी घी प्रयोग लाएं. यदि गाय का घी नहीं मिलता है तो घर में बना देसी घी भी प्रयोग लाया जा सकता है. इससे व्यक्ति को आरोग्यता प्राप्त होती है, यदि व्यक्ति किसी प्रकार से बीमार है तो माता शैलपुत्री को जी के भोग से उसकी बीमारी दूर की जा सकती है.

2–माता के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी माता को शक्कर अत्यंत प्रिय है, इसलिए आप दूसरे दिन माता को शक्कर का ही भोग लगाएं. इससे आयु में वृद्धि होती है.

3–माता के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा मां को दूध अत्यंत प्रिय है, इसलिए आप उन्हें दूध का अथवा दूध से बनी हुई किसी भी प्रकार की मिठाई का भोग लगा सकते हैं.

4–माता के चौथे स्वरूप कुष्मांडा मां को मालपुए का भोग लगाया जा सकता है, मालपुए मां कुष्मांडा को अत्यंत प्रिय हैं.


5–मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाना चाहिए, माता को केले का भोग लगाने से व्यक्ति बीमार कम पड़ता है.

6–माता के छठे स्वरूप मां कात्यायनी को शहद अत्यंत प्रिय है, माता को शहद का भोग लगाएं इससे आपके व्यक्तित्व में अवश्य ही निखार आएगा.

7–माता के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि को गुड़ का भोग लगाया जाना चाहिए, मां कालरात्रि शत्रुओं का नाश करने वाली है. इसलिए मां कालरात्रि को गुड़ का भोग लगाने से आपकी शत्रुता नष्ट होती है.

8–माता महागौरी को नारियल का भोग लगाना चाहिए, माता के आठवें स्वरूप महागौरी को नारियल का भोग लगाने से संतान संबंधी बाधाएं दूर होती है.

9– माता के नौवें स्वरूप सिद्धिदात्री को तिल अथवा तिल से बनी हुई वस्तु अत्यंत प्रिय है, इससे आपके आगामी जीवन में आने वाले संकट दूर होते हैं. मित्रों नवरात्रि में लगाए जाने वाले भोग सामान्यतः हमें अपने घरों में मिल जाते हैं इनके लिए आपको कोई विशेष खर्च करने की आवश्यकता नहीं होती लेकिन आपको इनमें शुद्धता का ध्यान अवश्य ही रखना पड़ेगा.