कैसी स्त्री से करना चाहिए विवाह? क्या कहती है इस विषय में चाणक्य नीति?

विवाह प्रत्येक मनुष्य का एक आवश्यक संस्कार होता है, लेकिन इस बात में काफी ज्यादा परेशानी महसूस होती है कि आखिर कैसे व्यक्ति से विवाह करना ठीक रहता है? क्योंकि विवाह दो लोगों के बीच जीवन भर का संबंध होता है इसलिए यदि उचित व्यक्ति से विवाह ना हो तो जीवन नर्क बन सकता है.

आज हम बात करेंगे कि किसी भी पुरुष को किस प्रकार की स्त्री से विवाह करना चाहिए? इस विषय पर हम भारत के महान राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री चाणक्य की राय पढ़ेंगें.

आचार्य चाणक्य के अनुसार किसी भी स्त्री से विवाह का फैसला उसकी सुंदरता और उसका धन देकर नहीं करना चाहिए. कुछ लोग दहेज के भूखे होते हैं तो वहीं कुछ लोग सुंदरता के. लेकिन चाणक्य के अनुसार ऐसी चीजें देखकर किया गया विवाह कभी सफल नहीं होता.

यदि किसी लड़की या महिला को ज्यादा गुस्सा आता है और वह बड़बोली है, यदि वह बोली में मीठे शब्दों का प्रयोग नहीं करती है और फालतू में ही दूसरों पर रोब जमाती है तो ऐसी स्त्री से विवाह करना ठीक नहीं है.‌ यदि ऐसी स्त्री से विवाह कर लिया जाता है तो यह आपको जीवन भर मानसिक तनाव देगा.

तो किससे करना चाहिए विवाह ?

आचार्य चाणक्य के अनुसार यदि कोई स्त्री आपसे प्रेम करती है और आपकी परवाह करती है तो ऐसी स्त्री से तुरंत विवाह कर लेना चाहिए. यदि स्त्री धार्मिक विचारों वाली हो तो सबसे अच्छा भले ही वह ज्यादा पूजा-पाठ ना करती हो लेकिन उसके हृदय में कोमलता जरूर होनी चाहिए.

स्त्री में धैर्य भी होना चाहिए क्योंकि जीवन में विपत्तियां जरूर आती है. वह ज्यादा क्रोधी और लालची ना हो. ऐसी स्त्री जो मीठा बोलती हो, अन्य लोगों पर यूं ही गुस्सा ना करती हो. क्योंकि संत कबीर जी ने भी कहा है कि “मधुर वचन है औषधि कटु वचन है तीर”.

सबसे अंतिम बात यह कि जिससे विवाह किया जाए वह स्त्री ऐसी हो जिसमें अपने पिता के परिवार का हमेशा सम्मान किया हो, यदि स्त्री अपने पिता के कुल का सम्मान नहीं कर सकती तो शायद वह अपने ससुराल वालों का सम्मान भी कभी नहीं कर पाएगी.